मौसम ने की चौसा की चीनी कम

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 1:03 AM IST

दशहरी पर आंधी के कहर के बाद अब उत्तर प्रदेश के चौसा आम की फसल बर्बादी की कगार पर है।


चौसा आम की पैदावार वाले इलाके सहारनपुर के किसान पहले कीट और अब मौसम की मार झेल रहे हैं। वन विभाग से पेड़ काटने की अनुमति मिल पाने से सहारनपुर में चौसा की आधे से ज्यादा फसल का खात्मा हो गया है।

फल पट्टी क्षेत्र के किसानों की मानें तो सरकार का पुराने पेड़ न काटने का फरमान प्रदेश के लोगों को चौसा के स्वाद से मरहूम कर सकता है। आम उत्पादक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेख इंसराम अली सहारनपुर के किसानों को चौसा आम के पुराने पेड़ काटने की इजाजत देने के लिए केंद्र सहित प्रदेश सरकार से गुहार लगा चुके हैं।

फल उत्पादक संघ के एक अन्य पदाधिकारी फौजान अहमद का कहना है कि सरकार ने किसानों की न सुनी तो जल्दी ही चौसा लोगों के लिए दुर्लभ प्रजाति का आम बनकर रह जाएगा। अहमद का कहना है कि पहले कीटों के प्कोप ने चौसा आम की रंगत छीन ली और बाद में सरकार ने किसानों को पेड़ न काटने का फरमान जारी कर बची खुची आशाओं पर पानी फेर दिया है।

गौरतलब है कि सहारनपुर के आम उत्पादक एक अरसे से पुराने पेड़ों को काटने की इजाजत मांग रहे हैं। लगातार दो सालों से कीट का प्रकोप झेल रहे किसान पुराने पेड़ों की जगह नए पेड़ लगाना चाहते हैं। उधर, उत्तर प्रदेश का वन विभाग आम को फल प्रजाति के पेड़ों की गिनती में रखते हुए इनको काटने की इजाजत देने से लगातार इनकार कर रहा है। प्रदेश में फल के पेड़ काटने पर अरसे से रोक लगी है।

फल उत्पादकों का कहना है कि इस साल आंधी के बाद दशहरी को बड़े पैमाने पर हुए नुकसान के बाद आम की कुल पैदावार पर असर पड़ा है। सीजन से ठीक पहले आई आंधी में दशहरी की 25 से 30 फीसदी की फसल चौपट हो गयी है, ऐसे में चौसा की आमद ठीक मात्रा में न होने से आम की कीमतों में उछाल आना स्वाभाविक है।

सामान्य तौर पर प्रदेश की मंडियों में दशहरी की आमद 15 मई से 15 जुलाई तक होती है। चौसा की फसल की आमद जून के पहले सप्ताह से शुरु होकर जुलाई के आखिर तक होती है। जुलाई में ही सबसे आखिर में सफेदा और कपूरी आम बाजार में आता है। दशहरी के लिए मशहूर फल पट्टी क्षेत्र मलिहाबाद, काकोरी और मोहनलालगंज से अभी तक फसल की आमद शुरू नही हुई है। फल पट्टी क्षेत्र के किसानों के मुताबिक इस साल फसल के जून से पहले आने की आशा नहीं है।

First Published : May 22, 2008 | 11:50 PM IST