स्टॉक तय करने को लेकर दिल्ली सरकार के नए फरमान से अनाज के थोक व्यापारियों में हड़कंप है।
वे जल्द ही सरकार के इस तुगलकी फरमान के खिलाफ मैदान में उतरने वाले हैं। नए फरमान के मुताबिक, कोई भी थोक व्यापारी एक समय में 1000 क्विंटल से ज्यादा गेहूं का स्टॉक नहीं रख सकता है। तो खुदरा व्यापारी के लिए यह सीमा 100 क्विंटल तय की गयी है।
दाल के मामले में थोक व्यापारियों की सीमा 2000 क्विंटल करने का प्रावधान है। यानी कि कोई भी थोक व्यापारी एक बार में अधिकतम 2000 क्विंटल दाल ही अपने पास रख सकता है। आटा मिल के लिए गेहूं का स्टॉक 60 दिन का होगा। कोई भी आटा मिल 60 दिन के लिए 600 क्विंटल गेहूं ही रख सकता है। खुदरा कारोबारियों के लिए यह सीमा 200 क्विंटल होगी।
सरकार बुधवार तक इस मामले में अधिनियम जारी कर सकती है। दिल्ली ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष ओम प्रकाश जैन कहते हैं, ‘नए फरमान की वजह से दिल्ली में अनाजों की आपूर्ति बाधित होने की आशंका है। दिल्ली में अनाज स्टॉक करने के लिए 12 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खर्च करना होता है। जबकि जहां अनाज की पैदावार होती है वहां स्टॉक करने में मात्र 1 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कीमत चुकानी पड़ती है।
ऐसे में सरकार के इस तुगलकी फरमान का कोई मतलब नहीं रह जाता है।’ एक अन्य व्यापारी संजीव अग्रवाल कहते हैं, ‘दिल्ली में रोजाना 1.25 लाख क्विंटल अनाज की खपत होती है। और पूरे साल भर के लिए यह खपत 37 लाख क्विंटल है। सरकार इन कुल खपत की मात्र 4 फीसदी ही आपूर्ति करती है। इस आदेश के बाद निश्चित रूप से आपूर्ति की पाइपलाइन गड़बड़ा जाएगी।’
वे कहते हैं कि अनाज के कई थोक व्यापारी ऐसे भी हैं जो 50,000 बोरी की बिक्री करते हैं। स्टॉक की सीमा तय करने से व्यापारी ज्यादा स्टॉक कभी नहीं रखना चाहेगा। वह मांग के मुताबिक बाजार की आपूर्ति करने में हिचकेगा।
जिसका सीधा असर कीमत पर पड़ेगा। इन दिनों थोक बाजार में सभी चीजों की कीमत में नरमी का रुख है। सिर्फ बासमती चावल लगभग 7-9 रुपये प्रति किलो की तेजी के साथ 70-75 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। मूंग दाल में तो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 200 रुपये प्रति क्विंटल की कमी है।