ज्यादा खाने का हमको जो ताना देते हैं…

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 9:05 PM IST

भारतीय और चीनियों की बढ़ती समृद्धि से अमेरिका की भौंहे तन गई है।


दरअसल, भारतीय और चीनियों पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि खान-पान के स्तर सुधरने की वजह से ही दुनिया को खाद्यान्न संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस बात को सबसे पहले हवा दी अमेरिका की विदेश मंत्री कोंडोलिजा राइस ने, जिसका अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने भी पूरा समर्थन किया है।


बुश ने कहा कि भारत जैसे देशों की संपन्नता अच्छी है, लेकिन इससे बेहतर पोषण की मांग बढ़ी है। नतीजा, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में इजाफा हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारतीय सचमुच खाद्यान्न संकट के लिए जिम्मेदार हैं? खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के आंकड़ों की मानें, तो खाद्यान्नों  की खपत भारत-चीन से कहीं ज्यादा अमेरिका में बढ़ी है।


एफएओ की ओर से ग्लोबल फूड मार्केट से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, भारत में खाद्यान्न की खपत तकरीबन 2.17 फीसदी बढ़ी है। भारत में वर्ष 2006-07 में 193.1 मिलियन टन खाद्यान्न की खपत हुई थी, जबकि वर्ष 2007-08 में 197.3 मिलियन टन खाद्यान्न की खपत हुई है। चीन की बात करें, तो वहां खाद्यान्न की खपत 1.8 फीसदी बढ़ी है।


वर्ष 2006-07 में 382.2 मिलियन टन खाद्यान्न की खपत हुई, जो 2007-08 में बढ़कर 389.1 मिलियन टन हो गया है। हालांकि इसी अवधि में अमेरिका में खाद्यान्न की खपत में 11.81 फीसदी वृद्धि हुई है। वर्ष 2006-07 में 277.6 मिलियन टन खाद्यान्न की खपत हुई थी, जो 2007-08 में बढ़कर 310.4 मिलियन टन तक पहुंच गया। इसकी प्रमुख वजह मक्का का बायो-ईंधन के रूप में इस्तेमाल करना भी है।


एफएओ के मुताबिक, साल 2000 से 2006 के बीच बायो-ईंधन बनाने में मक्का का इस्तेमाल तकरीबन दोगुना बढ़ा है। फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीटयूट के निदेशक (एशिया) अशोक गुलाटी का कहना है कि अमेरिका में पिछले साल करीब 30 मिलियन टन मक्का का इस्तेमाल बायो-ईंधन बनाने में किया गया। 


दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत में वर्ष 2007-08 के दौरान विश्व के कुल खाद्यान्न का 9.37 फीसदी खपत हुई, जबकि पिछले साल के 9.36 फीसदी खाद्यान्न की खपत हुई थी। ऐसे में भारत की वजह से दुनिया को खाद्यान्न संकट का सामना करना पड़ रहा है, कहना गलत होगा।


अमेरिका की बात करें, तो वर्ष 2007-08 के दौरान 14.74 फीसदी खाद्यान्न की खपत हुई, जबकि पिछले साल 13.46 फीसदी खपत हुई थी। चीन में वर्ष 2007-08 के दौरान विश्व के कुल खाद्यान्न का 18.53 फीसदी खपत हुआ, जबकि 2006-07 में 18.48 फीसदी खपत हुई थी।


गुलाटी के मुताबिक, भारत में खाद्यान्न की मांग बढ़ने से दूसरे देशों में आपूर्ति प्रभावित होती है। यही वजह है कि विकसित देश भारत पर खाद्यान्न संकट का आरोप मढ़ रहे हैं। तमाम रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत और चीन में खाद्यान्न की मांग बढ़ने से समस्या नहीं है, बल्कि बायो-ईंधन की वजह से खाद्यान्न की मांग बढ़ी है और समस्या का मूल भी वही है। प्रधानमंत्री मनमनोहन सिंह भी इस बात पर चिंता जता चुके हैं कि बायो-ईंधन को बढावा देने की वजह से खाद्यान्न संकट पैदा हुआ है।


भारत  में पोषण की मांग बढ़ी है। नतीजा, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में इजाफा हुआ है। – जॉर्ज डब्ल्यू बुश, राष्ट्रपति अमेरिका


मक्का का इस्तेमाल बायो-ईंधन में किए जाने से खाद्यान्न संकट पैदा हुआ है। – मनमोहन सिंह, प्रधानमंत्री

First Published : May 5, 2008 | 1:11 AM IST