चावल के बढ़ते मूल्यों को नियंत्रित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने चावल की स्टॉक-सीमा तय कर दी है।
केंद्र सरकार से आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के बाद राज्य सरकार ने निगम और गैर-निगम क्षेत्रों के थोक विक्रेताओं के लिए क्रमश: 5,000 क्विंटल और 3,000 क्विंटल की सीमा तय कर दी है जबकि खुदरा विक्रेताओं के लिए यही सीमा क्रमश: 200 क्विंटल और 100 क्विंटल की रखी गई है।
हालांकि, मिल मालिकों के लिए यह सीमा धान से चावल बनाने की 60 दिन की क्षमता के बराबर तय की गई है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स असोसिएशन के अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा, ‘स्टॉक सीमा, जो 5 जून से प्रभावी है, का कोई तुक नहीं बनता है क्योंकि इस साल की शुरुआत में केंद्र सरकार ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था जिससे पाकिस्तान जैसे चावल की भारी वाले देश में चल रहे भावों की तुलना में यहां की कीमतें आधी से भी कम हो गयीं।’
मॉनसून के समय से आने और सबसे बड़ी बात की उसके समानता से वितरित होने के कारण साल 2008-09 के चावल के अनुमानित उत्पादन की समीक्षा की गई और यह एक महीने पहले के 956.8 लाख टन की तुलना में 970 लाख टन आंका गया है। वैश्विक कारकों के कारण बढ़ती महंगाई से चिंतित केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को स्टॉक सीमा तय करने का निर्देश दिया था ताकि अतिरिक्त स्टॉक बाहर आ सके और इस प्रकार चावल के मूल्यों में संभावित कमी आ सके।
सेतिया ने कहा, ‘धीरे-धीरे किसान वैश्विक घटनाक्रमों से अवग होते जा रहे हैं। इसलिए वे वैश्विक मूल्यों को देखते हुए वैसे विकल्पों का चयन करते हैं जिनसे उन्हें अधिक लाभ होता है। स्टॉक सीमा तय किए जाने के बाद किसी बदलाव की संभावना नहीं है क्योंकि थोक मूल्य सूचकांक, जो महंगाई का मापदंड है, में चावल का योगदान नगण्य है।’ इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने खाद्य तेलों और तिलहनों की भी स्टॉक सीमा निर्धारित की थी।
आवश्यक जिंसों के मूल्य में होने वाले उतार-चढ़ावों को मापने वाला मुद्रास्फीति की दर 8.75 प्रतिशत के वर्तमान स्तर पर है और ऊर्जा उत्पादों में हुई हालिया वृध्दि से इसके 10 प्रतिशत से अधिक के स्तर को पार करने की पूरी संभावना जताई जा रही है। पिछले एक वर्ष में खुदरा बाजार में चावल की कीमतों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृध्दि हुई है क्योंकि वैश्विक तौर पर चावल की कमी और औसत मध्यम वर्ग के बीच इसके खपत में बढ़ोतरी हुई है।
वर्तमान में अच्छे किस्म के चावल की कीमत खुदरा बाजार में 2,400 रुपये प्रति क्विंटल है। भारत के वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य होने के नाते आवश्यक जिंसों के मूल्यों में होने वाली वृध्दि वैश्विक बाजार कारकों से प्रभावित होते हैं।