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28% GST: MPL करेगा 350 कर्मचारियों की छंटनी

नए कराधान नियम से MPL पर कर का बोझ 350-400 प्रतिशत तक बढ़ गया है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- August 08, 2023 | 11:32 PM IST

भारत का लोकप्रिय ऑनलाइन गेमिंग और फैंटसी स्पोर्ट्स स्टार्टअप मोबाइल प्रीमियर लीग (MPL) 350 कर्मचारियों की छंटनी कर रहा है, जो उसके भारतीय वर्कफोर्स का लगभग 50 प्रतिशत है। इस खबर को मनीकंट्रोल ने रिपोर्ट किया।

गौरतलब है कि कुछ हफ्तों पहले ही भारत सरकार ने ऑनलाइन रियल मनी गेम्स पर 28 फीसदी टैक्स की घोषणा की थी। अब उसका ही असर MPL की वर्कफोर्स पर पड़ा है।

क्या है MPL का आगे का प्लान?

मामले से परिचित लोगों ने कहा कि बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप MPL ने पिछले हफ्ते ही कर्मचारियों की छंटनी करने की घोषणा की थी और मंगलवार को कागजी तौर पर सबको इसके बारे में सूचित कर दिया। MPL ने पहले कॉमेंट करने से इनकार कर दिया था। हालांकि, स्टोरी के प्रकाशन के बाद छंटनी की पुष्टि कर दी।

MPL के फाउंडर और CEO साई श्रीनिवास ने कहा, “एक डिजिटल कंपनी के रूप में, हमारे वैरिएबल खर्च में मुख्य रूप से कर्मचारी, सर्वर और ऑफिस स्पेस शामिल होते हैं। इसलिए, हमें कंपनी को जिंदा रखने के लिए इन खर्चों को कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि बिजनेस बरकरार रह सके।” मंगलवार को एक ईमेल में कर्मचारियों को लिखा।

बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप MPL में लगभग एक साल में यह छंटनी का दूसरा दौर है। उन्होंने मई 2022 में 100 से ज्यादा लोगों की छंटनी की थी और इंडोनेशियाई बाजार से एक्जिट हो गया था।

ऑनलाइन गेमिंग के लिए नए कर नियम

यह कदम भारत सरकार द्वारा ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए एक नए कराधान नियम के बाद उठाया गया है। भारत की वस्तु एवं सेवा कर परिषद, जिसमें टॉप फेडरल और देश वित्त मंत्री शामिल हैं, उन्होंने ऑनलाइन गेमिंग, कैसीनो और घुड़दौड़ पर 28 प्रतिशत अप्रत्यक्ष कर लगाने की योजना की घोषणा की है।

श्रीनिवास ने मंगलवार को ईमेल में लिखा, नए कराधान नियम से MPL पर कर का बोझ 350-400 प्रतिशत तक बढ़ गया है।

मोबाइल प्रीमियर लीग, गेम्सक्राफ्ट, पेटीएम फर्स्ट गेम्स, ज़ूपी, नाज़ारा और रश सहित खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व करने वाले अखिल भारतीय गेमिंग फेडरेशन ने नए कराधान नियम को “असंवैधानिक, तर्कहीन और घृणित” करार दिया।

टाइगर ग्लोबल, डीएसटी ग्लोबल, पीक एक्सवी, स्टीडव्यू कैपिटल और कोटक प्राइवेट इक्विटी सहित कई उल्लेखनीय निवेशकों ने बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा, जिसमें उनसे “कठिन कर व्यवस्था” पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया गया।

निवेशकों के समूह ने कहा कि इस फैसले से 2.5 अरब डॉलर का नुकसान होगा और 1 मिलियन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियों का नुकसान होगा। हालांकि, भारत सरकार ने अपना निर्णय वापस नहीं लिया।

First Published : August 8, 2023 | 9:07 PM IST