तीसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी इन्फोसिस के नतीजों के साथ यह साबित हो गया कि अमेरिकी मंदी की मार से देश की सॉफ्टवेयर कंपनियां बेहाल हैं।
वैसे तो इन्फोसिस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के चौथी तिमाही के इन नतीजों में 9.2 फीसदी का मुनाफा रहा और इससे भारतीय शेयर बाजार में भी सकारात्मक रुख देखने को तो मिला, लेकिन चिंताजनक बात यह है कि इन्फोसिस की यह मुनाफा दर पिछले आठ सालों में सबसे कम है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इसकी वजह अमेरिका में आई आर्थिक मंदी है क्योंकि आईटी कंपनियां अमेरिका को ही सबसे ज्यादा सॉफ्टवेयर निर्यात करती हैं।
डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती ने भी इस आग में घी डाला। सालाना नतीजे: वित्त वर्ष 2008 में इन्फोसिस का शुध्द मुनाफा 20.8 प्रतिशत बढ़कर 4, 659 करोड़ रुपये हो गया जबकि आय 20.1 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 16,692 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। चौथी तिमाही के नतीजे: 31 मार्च 2008 को समाप्त हुई चौथी तिमाही में कंपनी का शुद्ध मुनाफा 9.2 फीसदी बढ़कर 1,294 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा, जो तीसरी तिमाही में अर्जित मुनाफे से कुछ ज्यादा है।
तीसरी तिमाही में कंपनी का शुद्ध मुनाफा 1,231 करोड़ रुपये था। चौथी तिमाही में कंपनी ने अपना विस्तार कर 40 ग्राहकों को अपने साथ जोड़ा, जबकि 2,586 कर्मचारियों की नियुक्ति की गई। क्या है उम्मीद: कंपनी प्रबंधन ने इन नतीजों पर खुशी जताई है। उसका अनुमान है कि वित्त वर्ष 2009 में कंपनी की आय 19-21 फीसदी तक बढ़ जाएगी। एचसीएल पर भी मंदी : अमेरिका में आई मंदी का असर एचसीएल के नतीजों पर भी दिखा। कंपनी ने चौथी तिमाही में 324.5 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है, जबकि पिछली तिमाही में उसकी कमाई 331.8 करोड़ रुपये रही थी।
क्या रहा चौथी तिमाही का गणितठ्ठ चौथी तिमाही में शुद्ध मुनाफा 9.2 फीसदी, जबकि वित्त वर्ष 2008 में शुद्ध मुनाफा हुआ करीब 21 फीसदीठ्ठ वित्त वर्ष 2008 में रुपये की मजबूती से कंपनी का शुद्ध मुनाफा 1,000 करोड़ रुपये घटा
क्यों है इन्फोसिस की अहमियतवैसे तो कमाई के मामले में भारतीय कंपनियों में टीसीएस सबसे आगे है और 40 अरब रुपये की कमाई हासिल करने वाली वह पहली भारतीय आईटी कंपनी भी है। इसी तरह इन्फोसिस वर्ष 2008 के वित्त वर्ष में 40 अरब रुपये की कमाई करने वाली कंपनी तो बन ही गई है लेकिन उसकी अहमियत कुछ और कारणों से ही है। मसलन, कंपनी की बेहतरीन कार्यसंस्कृति और साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाने की उसकी क्षमता।
क्या है आईटी उद्योग का योगदान2003 से 2007 के बीच 40 से 50 फीसदी के बीच विकास दर के साथ भारतीय आईटी उद्योग ने इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था के फलने-फूलने में बेहद अहम योगदान दिया है। क्या है अमेरिकी मंदी का असर भारतीय आईटी कंपनियों का सबसे बड़ा बाजार है अमेरिका। ऐसे में वहां की अर्थव्यवस्था में आई उथल-पुथल का असर इन कंपनियों के कारोबार पर पड़ना लाजिमी है।
वर्ष 2002 में जब अमेरिका मंदी की चपेट में था, तब भी इन्फोसिस समेत अन्य आईटी कंपनियों को नुकसान झेलना पड़ा था। साल 2008 में भी कुछ यही कहानी नजर आ रही है, क्योंकि इस बार भी इन्फोसिस को अमेरिका में आई मंदी और डॉलर के कमजोर पड़ने से करीब 1000 करोड़ रुपये कम मुनाफा हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि अन्य कंपनियों के वार्षिक नतीजों पर भी अमेरिकी मंदी का असर देखने को मिल सकता है।क्या करती हैं सॉफ्टवेयर कंपनियांभारतीय आईटी कंपनियां देश-विदेश में कंसल्टेंसी सेवाओं के साथ-साथ कस्टमाइज्ड सॉल्यूशंस और बीपीओ सेवाएं भी मुहैया कराती हैं।