फ्रैंच वाइन के बाद स्पैनिश टोरेस की बोतल देसी दुकानों में

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 11:43 PM IST

भारतीय शराब बाजार नई ऊचाइयों को छू रहा है। पिछले तीन साल में इस बाजार ने 25 फीसदी की सालाना दर से विकास किया है।


ऐसा लगता है कि जैसे हर व्यक्ति इस क्षेत्र के विकास में अपना योगदान देना चाहता है।हाल ही में शराब निर्माण क्षेत्र की अंतरराष्ट्रीय कंपनी डियाजियो ने भी भारत में फ्रेंच वाइन बोर्डियक्स लॉन्च करने की घोषणा की थी। डियाजियो के बाद अब स्पेन की शराब निर्माता कंपनी टोरेस भी भारतीय शराब बाजार पर अपनी पकड़ बनाने के लिए भारत में अपने विस्तार की योजना बना रही है।


टोरेस समूह के अध्यक्ष माइग्वल ए टोरेस की निगाहें पहले ही भारतीय शराब बाजार में मौजूद संभावनाओं पर टिकी हुई हैं। टोरेस ने कहा ‘हम भारत में अपने विस्तार के लिए लगभग 400 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे। इस विस्तार के लिए हम और ज्यादा लोगों की नियुक्तियां भी करेंगे। लगभग इतनी ही राशि हम पिछले 6 साल में भारत में पहले ही निवेश कर चुके हैं।’


टोरेस खास प्रकार के अंगूरों से रेड, व्हाइट, स्पार्कलिंग और डेजर्ट वाइन जैसी महंगी शराब बनाने के साथ ही आम आदमी की जेब का ध्यान रखते हुए कुद सस्ती किस्में भी बाजार में उतारेगी। वर्ष 2001 में टोरेस ने भारत में शराब वितरण के लिए गौतम थापर व दो और भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर टीटी ऐंडजी ट्रेडिंग के नाम से साझा उपक्रम बनाया था।


टोरेस भारत में ऐसा साझा उपक्रम बनाने वाली पहली स्पैनिश कंपनी है। कंपनी अब भारत के प्रीमियम होटलों को लगभग 5,000 केसों (एक केस में 750 मिलीलीटर की 12 बोतलें होती हैं) की आपूर्ति करती है। इस मांग में प्रतिवर्ष 25 फीसदी का इजाफा हो रहा है।


माइग्वल को शराब के रिटेल बाजार में भी काफी संभावनाएं नजर आ रही हैं। उन्होंने कहा ‘रिटेल आउटलेट के जरिये कंपनी अपनी मध्यम और किफायती श्रेणी की ब्रांडों को बाजार में उतार सकती है।’ अब जल्द ही भारतीय कंपनी की सांग्रे डी टोरो और वीना सोल जैसी किफायती श्रेणी की शराब का भी मजा ले सकेंगे।


कंसल्टेंसी कंपनी केपीएमजी और फिक्की की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय शराब बाजार लगभग 265 करोड़ रुपये का है। अनुमान के मुताबिक शराब उद्योग साल 2010 तक 60 फीसदी सीएजीआर (कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट) के हिसाब से विकास करेगा। हाल में भारतीय बाजार सालाना 12 लाख केसों का है। लेकिन इससे कहीं ज्यादा मात्रा में शराब आयात की जाती है। भारत में हर साल लगभग 2 लाख केस आयात किये जाते हैं।


भारत सरकार द्वारा शराब के आयात पर लगाए गए करों के कारण विदेशी शराब कंपनियां अपने उत्पादों के दाम काफी ज्यादा बढ़ा देती हैं। इसी वजह से विदेशी शराब कंपनियां भारत में उतनी तेजी से विकसित नहीं हो पाई जितनी तेजी से चीन में इन कंपनियों का विकास हुआ। भारत में प्रति व्यक्ति शराब की खपत मात्र 4 मिलीलीटर ही है जबकि चीन में यह आंकड़ा 400 मिलीलीटर प्रति व्यक्ति है।


दोनों देशों को लगभग एक ही आर्थिक स्तर पर माना जाता है तो भारत में इस खपत के बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।एक तरफ जहां चीन दुनियाभर के शराब निर्माताओं की बाजार के रूप में पहली पसंद है, वहीं माइग्वल का कहना है ‘मेरा ये मानना है कि भारतीय संस्कृति और माहौल में किसी भी व्यक्ति का शराब की तरफ झुकना ज्यादा आसान है।’


जहां तक विज्ञापन की बात है तो माइग्वल इस बात के प्रति आश्वस्त हैं कि उनके कहे गए शब्द ही उनकी शराब की बिक्री बढ़ा देंगे। दूसरी बात जो उनके हित में है वो है दुनिया भर में फैले भारतीय। उन्होंने कहा ‘मुझे उम्मीद है कि जो भी भारतीय स्पेन घूमने आयेंगे वो हमारी शराब जरूर पियेंगे और भारत में जाकर भी पीना चाहेंगे।’

First Published : April 24, 2008 | 11:54 PM IST