पश्चिम एशियाई देशों में काम करने वाले तकरीबन 51 फीसदी भारतीय स्वदेश आने और यहां से जाने के लिए सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया एक्सप्रेस का ही इस्तेमाल करते हैं।
हालांकि अब स्थिति बदल रही है। भारत-पश्चिम एशिया के बीच यात्री सेवा मुहैया कराने के लिए कई लो-कॉस्ट एयरलाइंस भी मैदान में कूद पड़ी है। इनमें शारजाह की एयर अरबिया, कुवैत की अल-जजीरा, सऊदी अरब की नास एयर शामिल हैं, जो एयर इंडिया को कड़ी चुनौती दे रहे हैं।
इंडिया और पश्चिम एशिया के बीच यात्रियों की संख्या सालाना 25 फीसदी की दर से बढ़ रही है। सीएपीए के अध्ययन की मानें, तो 2010 तक भारत-पश्चिम एशिया के बीच सफर करने वाले यात्रियों की संख्या 6 करोड़ का आंकड़ा पार कर सकती है। लो-कॉस्ट एयरलांइस की बात करें, तो भारत-पश्चिम एशिया के बीच इसकी हिस्सेदारी अभी 1.5 फीसदी प्रति माह है, लेकिन 2010 तक इसकी भागीदारी 30 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है।
भारत की सरकारी एयरलांइस को दुबई स्थित अमीरात एयरलाइंस से सबसे ज्यादा खतरा है, क्योंकि कंपनी ने हाल के दिनों में लो-कॉस्ट एयरलांइस (एलसीसी) को अलग ब्रांड के तौर पर लॉन्च किया है। कंपनी भारतीय श्रमिकों को ध्यान में रखते हुए 700 यात्रियों की क्षमता वाले ए-380 सुपर जंबो विमान लाने पर विचार कर रही है।
अमीरात एयरलांइस के चेयरमैन और मुख्य कार्याधिकारी शेख अहमद बिन सईद का कहना है कि कई अन्य एयरलांइस भी क्षेत्र में आने की तैयारी कर रही है, जिससे इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और बढ़ेगी। अमीरात की एलसीसी एक साल के अंदर उड़ान भरने लगेगी। कंपनी का कहना है कि हमारे लिए तैयार बाजार उपलब्ध है।
एयर अरबिया 2006 से लो-कॉस्ट एयरलांइस शुरू किया है। कंपनी अब तेजी से इसका विस्तार करने में लगी है। भारत और श्रीलंका के रीजनल मैनेजर रोहित रामचंद्रन का कहना है कि एयर अरबिया के लिए भारत के एक बड़ा बाजार है और कंपनी यात्रियों को बेहतर सेवा देने का पूरा प्रयास करेगी।
कम किराए का करिश्मा
भारत-पश्चिम एशिया के बीच यात्री सेवा मुहैया कराने के लिए कई लो-कॉस्ट एयरलाइंस मैदान में
एयर इंडिया के वर्चस्व को मिल सकती है कड़ी चुनौती
पश्चिम एशिया में रहने वाले भारतीय श्रमिकों की बल्ले-बल्ले