जर्मनी की कंपनी हुमाना मिल्शुनियोन ईजी, शिशु भोजन और चिकित्सा संबंधी बहु-विटामिन बनाने वाली बड़ी कंपिनयों में से एक, जल्द ही भारत और पड़ोसी बाजारों में कदम रखने वाली है।
हुमाना की योजना बहु-विटामिन और शिशु भोजन के 200 से भी अधिक स्टोर अगले 2 से 3 वर्षों में खोलने की है।कंपनी इसके लिए भारत में मुंबई की दवा निर्माता कंपनी खंडेलवाल लैबोरेटरीज (के-लैब्स) और उपभोक्ता वस्तुओं की निर्यातक कंपनी मैग्ना इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर एक संयुक्त उद्यम के तहत अपने उत्पाद भारतीय बाजार में उतारेगी।
कंपनी की सालाना बिक्री 200 अरब रुपये की है। कंपनी, हुमाना मिल्शूनियोन कंपनियों के समूह से जुड़ी हुई है, जो डेयरी सहकारिता है। इस कंपनी के यूरोप में 6 हजार से भी अधिक दुग्ध आपूर्तिकर्ता हैं।कंपनी के चिकित्सा संबंधी और शिशु उत्पाद जैसे कि भोजन, पानी और इंस्टेंट सेरेल 48 से भी अधिक देशों में बेचे जाते हैं और यूरोप,अमेरिका सहित अन्य देशों में बड़े ब्रांड की तरह प्रसिध्द हैं।
सूत्रों के मुताबिक जर्मनी में हर्फोड के बाहर स्थित 58 साल पुरानी डेयरी कंपनी की इटली, स्पेन और पुर्तगाल में सहायक कंपनियां भी हैं और कंपनी के विभिन्न देशों में बिक्री कार्यालय भी हैं।मैग्ना-के लैब्स के संयुक्त उद्यम के प्रबंध निदेशक सतीश भांगर का कहना है, ‘हुमाना मैग्ना-के लैब्स उद्यम में शुरुआती दौर में लगभग 12.5 करोड़ रुपये निवेश करेगा और इसमें कंपनी की लगभग 50 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी।’
मैग्ना और के-लैब्स ने हुमाना के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं और इनकी योजना एशियाई और पश्चिमी एशियाई के बड़े बाजारों में उतरने के लिए भारत को बतौर केन्द्र इस्तेमाल करने की है।शुरुआत में संयुक्त उद्यम के तहत जर्मनी से लगभग 60 उत्पाद आयात किए जाएंगे और उद्यम के शुरू होने के बाद 6 महीने के भीतर ही के-लैब्स की उत्तराखंड स्थित वर्तमान उत्पादन इकाई में ही इनका उत्पादन किया जाएगा।
कंपनी ने इस संयुक्त उद्यम से पहले वर्ष में 50 करोड़ रुपये की बिक्री करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।भांगर के अनुसार हुमाना ब्रांड का 1000-2000 वर्गफुट वाला हर शोरूम लगभग 1 करोड़ रुपये की लागत का होगा।हुमाना कंपनी के इसमें लगभग 500 उत्पाद बिक्री के लिए रखे जाएंगे। साथ ही एक वर्ष के भीतर उद्यम लगभग 20 स्टोर खुल ने वाला है।
के-लैब्स के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक, संजीव खंडेलवाल का कहना है, ‘कई बहु-विटामिन उत्पाद एक ऐसी तकनीक पर आधारित हैं, जिन्हें पानी में डालते ही वह एनर्जी ड्रिंक में तब्दील हो जाता है, इन्हें भारत में दवाओं की श्रेणी में रखा गया है। अगर सरकार इस तरह के उत्पादों को सामान्य किराना उत्पादों की श्रेणी में रख दे तो हमारे स्टोर्स और भी जबर्दस्त विटामिन उत्पादों भारतीय ग्राहकों को मुहैया करवा सकते हैं।’
इस संयुक्त उद्यम के साथ ही कैंसर और अन्य गंभीर रोगों के इलाज में काम आने वाली दवाओं की निर्माता कंपनी के-लैब्स पौष्टिक और स्वास्थवर्धक उत्पादों के क्षेत्र में उतरेगी।
कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, वी के त्रिपाठी के अनुसार, इस संयुक्त उद्यम के चलते के-लैब्स समूह कंपनी वर्टोस इनोवेशंस की ओर से जीन रिपेयर थैरेपी (जीआरटी), कैंसर के लिए नैनो तकनीक आधारित इलाज प्रक्रिया और जीवनघाती बीमारियों के लिए कच्चे माल की मांग की आपूर्ति करेगी।