सूखते उद्योग जगत के लिए घिर आए बदरा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 3:01 AM IST

भारतीय कंपनियों की बैलेंस शीट देखने से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2007-08 की अंतिम तिमाही में उनका प्रदर्शन आशा के अनुरूप नहीं रहा।


ज्यादातर कंपनियों, खासकर तेल-गैस और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। इसकी प्रमुख वजह कच्चे माल की बढ़ती कीमत, लागत में वृद्धि और बिक्री में आई गिरावट को माना जा रहा है।

अब तक करीब 1638 कंपनियों ने वित्त वर्ष 2007-08 की अंतिम तिमाही के नतीजे जारी किए हैं, जिनका कुल मुनाफा 10.8 फीसदी ही रहा, जबकि पिछली आठ तिमाही में कंपनियों की मुनाफा वृद्धि दर करीब 15 फीसदी रही है। अंतिम तिमाही में इन कंपनियों का औसत मुनाफा करीब 38,296 करोड़ रुपये रहा, जबकि बिक्री में औसतन 24 फीसदी की वृद्धि देखी गई।

सरकारी स्वामित्व वाली तेल मार्केटिंग कंपनियों, ऊर्जा और इंजीनियरिंग कंपनियों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन और भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड के मुनाफे में अंतिम तिमाही में 51 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के मुनाफे में चौथी तिमाही में औसतन 4,937 करोड़ से 2,421 करोड़ रुपये की कमी आई है। आईओसी को तो 414 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा है। अंतिम तिमाही के परिणाम को ध्यान से देखें तो पता चलता है कि बड़ी कंपनियों के मुकाबले छोटी कंपनियों का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा है और उसकी कमाई में भी इजाफा हुआ है।

जिन कंपनियों का सालाना कारोबार 250 से 500 करोड़ रु. का है, उसके मुनाफे में करीब 18.7 फीसदी की वृद्धि हुई है। वहीं जिनका कारोबार 100 से 250 करोड़ रु.के बीच है, उसकी मुनाफा वृद्धि दर 33 फीसदी रही है। 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की टर्नओवर वाली कंपनियों की मुनाफा वृद्धि दर 9.2 फीसदी ही रही है।

..बरसो राम धड़ाके से

मानसून भारतीय अर्थव्यस्था की जीवनरेखा है। यही वजह है कि इस पर न सिर्फ देश के करोड़ों किसानों बल्कि कमोबेश हर किसी की नजरें टिकी रहती हैं। वैसे भी इस दौर में जब, दुनियाभर में खाद्यान्न की चढ़ती कीमतों की वजह से सरकार परेशान हो, महंगाई की मार से लोग बेहाल हों, और मंदी की मार से कारोबारी जगत का बुरा हाल हो तो समय से पहले मानसून का आना मानों मुंहमांगी मुराद सरीखा ही है।

मौसम विभाग भविष्यवाणी कर ही चुका है कि ‘इस साल मानसून बेहतर रहेगा’। तो आइए, केरल की तरफ से आकर धीरे-धीरे कमोबेश समूचे भारत को भिगोने के इरादे से आने वाले इन काले बादलों के स्वागत के लिए हम भी तैयार रहें।

मानसून सामान्य रहा, तो 15 सितंबर के बाद महंगाई दर घटनी शुरू हो जाएगी। – मनमोहन सिंह, प्रधानमंत्री
इस साल अगर मानसून बेहतर रहा, तो खाद्यान्न की कीमतों में गिरावट आएगी और आसमान छूती महंगाई पर अंकुश लगेगा। – पी. चिदंबरम, वित्त मंत्री

 मुनाफे में आई कमी

कंपनी : –                         मार्च 2007       मार्च 2008   गिरावट
इंडियन ऑयल  –               1503               -414                 –  
अंबुजा सीमेंट  –                 566                326                -42
डॉ. रेड्डीज लेबो. –              269                162              -40
मारुति सुजुकी  –                449              298               -34
एचपीसीएल  –                    550              385                -30
रिलायंस कम्यु.-                687               511              -26
एनटीपीसी   –                     1735            1340             -23
रैनबैक्सी लैब  –                115               103            -10
 (आंकड़े करोड़ रुपये में)

First Published : June 2, 2008 | 1:40 AM IST