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Bhushan Power Case: SC के फैसले से IBC पर गहरा असर, समाधान पेश करने की प्रक्रिया पर उठे सवाल

सर्वोच्च न्यायालय ने इस समाधान प्रक्रिया की देखरेख करने वाले समाधान पेशेवर के बारे में भी सख्त टिप्पणी की।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- May 04, 2025 | 10:38 PM IST

कंपनी मामलों का मंत्रालय और भारतीय दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) भूषण पावर ऐंड स्टील मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अध्ययन कर रहे हैं। एक शीर्ष सरकारी अ​धिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मंत्रालय और आईबीबीआई यह समझने की को​शिश कर रहे हैं कि ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के नियमों एवं प्रक्रियाओं के लिए सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के क्या निहितार्थ हैं। 

अधिकारी ने कहा, ‘हम सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अध्ययन कर रहे हैं। हम यह देखने की को​शिश कर रहे हैं कि आईबीसी के विनियमनों एवं प्रक्रियाओं के संदर्भ में इससे क्या सीखा जा सकता है।’ भूषण पावर ऐंड स्टील लिमिटेड के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील द्वारा प्रस्तुत 2019 की समाधान योजना को सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को खारिज कर दिया और कंपनी के परिसमापन का आदेश दिया। यह फैसला आने के बाद जेएसडब्ल्यू स्टील के शेयरों में 5 फीसदी की गिरावट आई थी।

न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा के पीठ ने कहा कि समाधान योजना ‘अवैध’ और ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता के प्रावधानों के ​​’खिलाफ’ है। आईबीसी के विशेषज्ञों ने कहा कि आईबीसी के लिए इस फैसले के गंभीर निहितार्थ हैं। उन्होंने कहा कि इसके कारण आवेदक समाधान योजना पेश करने से यह सोचकर हिचक सकते हैं कि उसे किसी दिन रद्द किया जा सकता है।

न्यायालय ने कहा कि जेएसडब्ल्यू की समाधान योजना को मंजूरी देते समय लेनदारों की समिति (सीओसी) अपने वाणिज्यिक विवेक का इस्तेमाल करने में विफल रही। यह आईबीसी और कॉरपोरेट ऋणशोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया के तहत अनिवार्य प्रावधानों का पूरी तरह उल्लंघन था। 

सर्वोच्च न्यायालय ने इस समाधान प्रक्रिया की देखरेख करने वाले समाधान पेशेवर के बारे में भी सख्त टिप्पणी की। न्यायालय ने पाया कि न केवल आईबीसी और सीआईआरपी ब​ल्कि समाधान पेशेवर भी नियमों के तहत अपने वैधानिक कर्तव्यों का पालन करने में ‘पूरी तरह विफल’ रहे।

 

First Published : May 4, 2025 | 10:38 PM IST