भारतीय कंपनियां नए वित्त वर्ष में अपना पूंजीगत व्यय बढ़ाने और अधिक नियुक्तियां करने की योजना बना रही हैं। उद्योग जगत के मुख्य कार्याधिकारियों (सीईओ) ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के एक सर्वेक्षण में यह बताते हुए उम्मीद जताई कि वित्त वर्ष 2023 में उनकी कंपनियों की बिक्री वैश्विक महामारी से पहले की बिक्री से ज्यादा रहेगी।
सर्वेक्षण में शामिल 29 सीईओ में से 86 फीसदी ने उम्मीद जताई कि वित्त वर्ष 2024 में क्षमता विस्तार होगा क्योंकि उन्हें बिक्री बेहतर रहने की उम्मीद है। उनका कहना है कि वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 में नरमी रहने के बाद अब बिक्री में तेजी दिख सकती है। करीब 93 फीसदी सीईओ नए वित्त वर्ष में नियुक्तियां बढ़ाने की योजना बना रहे थे।
उपभोक्ता खर्च में वृद्धि से उत्साहित सीईओ की धारणा काफी सकारात्मक दिख रही है। करीब 41.4 फीसदी प्रतिभागियों ने उम्मीद जताई कि उनकी कंपनी का लाभ 20 फीसदी से अधिक बढ़ेगा।
उद्योग जगत के सीईओ से जब आगे की राह में संभावित बाधाओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने लागत में बढ़ोतरी, भू-राजनीतिक संकट, डॉलर के मुकाबले रुपये में उतार-चढ़ाव, ब्याज दरों में वृद्धि और नकदी प्रवाह में कमी का जिक्र किया।
एक सीईओ ने कहा, ‘महंगाई बड़ी चिंता है, जिसकी वजह से उपभोक्ता खर्च में कमी कर सकते हैं। दिक्कत यह भी विलासिता के सामान और सेवाओं के मुकाबले जरूरी सामान और सेवा पर महंगाई का असर ज्यादा दिख रहा है।’
एक अन्य सीईओ ने कहा कि चीन और इंडोनेशिया में जरूरत से ज्यादा उत्पादन क्षमता भी दिक्कत का सबब है क्योंकि वे भारतीय बाजारों को अपने सब्सिडी वाले यानी सस्ते उत्पादों से पाट देते हैं। एक प्रमुख इस्पात कंपनी के शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘स्टेनलेस स्टील बनाने के लिए जरूरी निकल, मॉलिब्डिनम और स्टेनलेस स्टील कबाड़ जैसा कच्चा माल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होना उत्पादन के लिए खतरा है। भारत में ढुलाई और पूंजी की ऊंची लागत भी चिंता का विषय है।’
फिच की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों एवं बैंकों के बहीखाते बेहतर होने से मध्यम अवधि में भारतीय उद्योग जगत का पूंजीगत खर्च बढ़ने की उम्मीद है। मगर फिच ने चेतावनी दी कि लागत में इजाफे और मुद्रा में कमजोरी, कमजोर वैश्विक आर्थिक परिदृश्य और ब्याज दरों में बढ़ोतरी से निवेश योजनाएं जोखिम में पड़ सकती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमें उम्मीद है कि भारत में फिच की रेटिंग वाली कंपनियों का पूंजीगत खर्च वित्त वर्ष 2024 में 10-12 फीसदी बढ़ जाएगा। वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2021 के दौरान खर्च सपाट रहा था मगर वित्त वर्ष 2022 में यह 16 फीसदी बढ़ा।’
सर्वेक्षण में शामिल 55.2 फीसदी सीईओ ने कहा कि वे अपनी योजनाओं के लिए नए वित्त वर्ष में रकम जुटाने की तैयारी कर रहे हैं। अधिकतर सीईओ (86.2 फीसदी) ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिए भारत इस साल वैश्विक स्तर पर सबसे महत्त्वपूर्ण बाजार रहेगा। लगभग 50 फीसदी सीईओ ने कहा कि भारत में कारोबार की राह में राजनीति अड़चन नहीं बनती है और 65.5 फीसदी का कहना था कि नया निवेश तेजी से बढ़ेगा।
अधिकतर सीईओ नए वित्त वर्ष में पर्यावरण, टिकाऊपन एवं प्रशासन, विविधता और समावेश पर ध्यान देंगे। अधिकतर सीईओ ने कहा कि वे अपने कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रहे हैं।
एक सीईओ ने कहा, ‘हम सभी को समान अवसर देने वाले नियोक्ता हैं। हम नियुक्ति के समय पृष्ठभूमि, धर्म, क्षेत्र आदि के आधार पर भेदभाव नहीं करते हैं। हमारे बोर्ड में एक तिहाई महिलाएं ही हैं।’ कई सीईओ ने कहा कि वे महिला कर्मचारियों को विशेष छुट्टी देने की योजना बना रहे हैं ताकि उन्हें प्रोत्साहित किया जा सके।
फिच के आंकड़ों के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज ने वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2024 में जामनगर रिफाइनरी में कच्चे तेल से रसायन परियोजना, केजी डी6 गैस विकास परियोजना, जियो 5जी, नई ऊर्जा कारोबार और खुदारा कारोबार पर 2.15 लाख करोड़ रुपये निवेश की योजना बनाई थी।
अदाणी एंटरप्राइजेज की योजना हवाई अड्डों, डेटा सेंटर एवं ग्रीन हाइड्रोजन कारोबार में 18,200 करोड़ रुपये के निवेश की है। टाटा समूह विभिन्न परियोजनाओं पर 32,300 करोड़ रुपये लगाने जा रहा है। जेएसडब्ल्यू स्टील ने क्षमता विस्तार पर लगभग 48,000 करोड़ रुपये निवेश की घोषणा की है।
फिच के अनुसार भारती एयरटेल ने वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2024 के दौरान 5जी, स्पेक्ट्रम भुगतान, ब्रॉडबैंड, डेटा सेंटर आदि पर 79,800 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई थी।
(देव चटर्जी के साथ सुंदर सेतुरामन, प्रतिज्ञा यादव, ईशिता आयान दत्त, पीरजादा अबरार, शाइन जैकब और सोहिनी दास)