हवाई जहाज बनाने वाली दिग्गज कंपनियों बोइंग और एयरबस को भी भारतीय विमानन कपंनियों को हो रहे घाटे से खासी चिंता है, लेकिन उन्हें मांग पर पूरा भरोसा है।
हालांकि उन्होंने भारतीय बाजार में 2012 के बाद अपने विमानों की मांग के बारे में पहले जो उम्मीदें लगाई थीं, अब उनको ठीक आधा कर दिया है यानी अब उन्हें कम विमान बिकने की उम्मीद है।
बोइंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (बिक्री) दिनेश केस्कर ने कहते हैं, ‘यह सोचना तो बिल्कुल बेवकूफी होगी कि इस वक्त एयरलाइनें नए ऑर्डर बुक करने की बात करेंगी। यह बात अब साफ है कि इस वक्त वे मंदी के दौर से गुजर रही हैं। 2012 के बाद ये कंपनियां 60 नहीं मुश्किल से 30 विमान खरीद पाएंगी।’ केस्कर ने कहा, ‘अमेरिका में एयरलाइनें अनुमानित रूप से 10 फीसदी तक की कटौती कर रही हैं। भारत में एयरलाइनें जल्द ही या बाद में क्षमता में कम से कम 10-12 फीसदी की कटौती करेंगी।’
बोइंग ने सस्ती विमान सेवा स्पाइसजेट की डिलीवरी की सब-लीज के खरीदारों को हासिल करने में मदद की है। इस तरह अगले पांच महीनों के दौरान पांच विमानों की खेपों के संभावित स्थगन को रोका है। बोइंग को जेट एयरवेज, एयर इंडिया और स्पाइसजेट के लिए 161 विमानों का ऑर्डर मिला है जिनकी डिलीवरी 2012 तक की जानी है।
एयरबस का कहना है कि जब ग्राहक अपने बेड़े की नवीनीकरण योजनाओं में सुधार करते हैं जब एयरबस ग्राहकों के साथ काम करती है और उनके लिए अनुकूल साबित होती है।