अधिक ब्याज दर से कॉर्पोरेट पर संकट

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 8:00 AM IST

ब्याज दरों में होने वाली और बढ़ोतरी से भारतीय उद्योग जगत की भविष्य की निवेश योजनाओं को लेकर चिंता बढ़ गई है।


ब्याज दर में इजाफा होने से कंपनियों को अपनी बिक्री कम होने की चिंता सताने लगी है। बैंक ऋण के महंगे होने से लगभग हर क्षेत्र की कंपनियां कम फायदेमंद साबित होने वाली अपनी नई परियोजनाओं को टाल देना ही मुनासिब समझ रही हैं।

उपभोक्ता ऋण पर पूरी तरह निर्भर रहने वाली ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों की कंपनियां आने वाले दिनों में मांग में कटौती का सामना करेंगी। वस्तुओं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से मंदी से जूझ रहे बाजार मार्जिन में कमी आएगी।

भारतीय रिजर्व बैंक के दो प्रमुख दरों में 50 बेसिस प्वाइंट तक की बढ़ोतरी के फैसले के एक दिन बाद बिजनेस स्टैंडर्ड की ओर से कराए गए मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के एक सर्वे में कहा गया है कि ब्याज दरों में तेज बढ़ोतरी के कारण मंदी निश्चित तौर पर और गहराएगी।

सीईओ पर किए गए इस सर्वे में अधिकांश अधिकारियों ने यह कहने में अनिच्छा जाहिर की कि चालू वित्त वर्ष के लिए उन्होंने अपनी व्यापार परियोजनाओं में कटौती की है। हालांकि जनरल मोटर्स के एक अधिकारी का कहना था कि ब्याज दर में बढ़ोतरी से बिक्री में 5 फीसदी तक की कमी हो सकती है। इन सभी अधिकारियों का कहना है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उछाल ऐतिहासिक होगा।

केयर्न इंडिया के मुख्य कार्यकारी राहुल धीर ने कहा, ‘यदि हम 7 फीसदी की विकास दर को बनाए रखने में सफल रहते हैं तो यह प्रभावशाली होगा।’ अपनी इस्पात क्षमता के विस्तार में लगी जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (वित्त) शेषगिरि राव ने कहा, ‘नई निवेश योजनाओं को टाला जाएगा। जिन परियोजनाओं के लिए कोष की व्यवस्था अभी नहीं की गई है, उन पर हमें विचार करना होगा।’

मूडीज से संबद्ध आईसीआरए के प्रबंध निदेशक नरेश ठक्कर ने कहा, ‘निवेश और कोष उगाही को लेकर कंपनियों का रुझान नकारात्मक हो गया है।’ अधिकांश सीईओ को हालात में जल्द सुधार होने की उम्मीद नहीं है। फ्यूचर रिटेल के सीईओ राकेश बियानी ने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति और अधिक ब्याज दरें 12 महीनों तक बनी रहेंगी। सिटी इंडिया के सीईओ संजय नायर कहते हैं कि मुद्रास्फीति अगले कुछ महीनों में 12.5 फीसदी तक पहुंच सकती है।

बढ़ रही ब्याज दरों से नई परियोजनाएं कम मुनाफे का सौदा साबित होंगी। यदि नई परियोजनओं का ठीक से प्रबंधन किया जाता है तो निवेश पर 18 से 20 फीसदी का मुनाफा कमाया जा सकता है। बड़ी कंपनियां पूंजीगत वस्तुओं के आयात के लिए एक्टर्नल कमर्शियल बोरोइंग्स (ईसीबी) के जरिये 2000 करोड़ रुपये तक जुटा सकती हैं।
अर्थशास्त्री यह तर्क भी पेश कर रहे हैं कि आरबीआई को ईसीबी पर 880 अरब रुपये की ऊपरी सीमा को बढ़ाए जाने की जरूरत है।

35 फीसदी के निवेश जीडीपी रेशियो के साथ भारत 40 खरब रुपये वाली अर्थव्यवस्था में 14,000 अरब रुपये का निवेश करता है। एक अर्थशास्त्री ने स्पष्ट किया, ‘आपको निवेश के 10 फीसदी से कम के ईसीबी की अनुमति है।’

First Published : June 27, 2008 | 12:23 AM IST