भारत की ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) के तहत वित्त वर्ष 2024 में समाधान सर्वाधिक रहा है। राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से 269 मामलों को मंजूरी मिली, जो वित्त वर्ष 2023 के 169 मामलों की तुलना में 42 प्रतिशत अधिक है।
शुक्रवार को क्रिसिल की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। दबाव वाली संपत्तियों में बदलाव को लेकर निवेशकों की अधिक रुचि और एनसीएलटी में सदस्यों की नई नियुक्तियों से तेजी से समाधान में सहायता मिली। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 में हल किए गए 269 मामलों में 88 प्रतिशत मामले पहले के मामलों की प्रविष्टियों से संबंधित थे।
रियल एस्टेट और विनिर्माण क्षेत्रों के मामलों में वित्त वर्ष 2023 की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में क्रमशः 200 प्रतिशत और 22 प्रतिशत वृद्धि हुई।