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पिछले सप्ताह वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) द्वारा अपना बकाया इक्विटी में तब्दील करने पर सहमत होने से पहले तक सरकार और वीआईएल के प्रवर्तकों के बीच की 16 महीने से अधिक की खींचतान से कंपनी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इस विलंब की वजह से वीआईएल को ग्राहक गंवाने, ग्राहकों के निकलने की बढ़ती दर, बढ़ते कर्ज बोझ, एबिटा मार्जिन में कमी, बैलेंस शीट पर नुकसान बढ़ने जैसे हालातों का सामना करना पड़ा है।
15 सितंबर, 2021 को मंत्रिमंडल ने आर्थिक रूप से दबावग्रस्त इस दूरसंचार कंपनी के लिए एक पैकेज को मंजूरी दी थी, जिसमें सरकार ने उन्हें विलंबित बकाये के ब्याज के हिस्से को इक्विटी में तब्दील करने का विकल्प दिया था।
वीआईएल ने यह विकल्प चुना था। बाद में सरकार ने एक शर्त रखी थी : यह परिवर्तन तभी होगा, जब वीआईएल के प्रवर्तक – बिड़ला और वोडाफोन ग्रुप पीएलसी ने कंपनी में पैसा लगाने के लिए उचित प्रतिबद्धता जताई हो। सरकार द्वारा इस कदम को उचित समझा गया था क्योंकि 25,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए वीआईएल की रणनीतिक निवेशकों और बैंकों की तलाश खोज परवान नहीं चढ़ी थी (यह केवल 4,500 करोड़ रुपये ही ला पाई)।
लेकिन तमाम चर्चाओं के बावजूद प्रवर्तकों इस मामले पर अनिश्चित रुख अपनाया। उन्होंने साफ कर दिया कि वे 5जी में निवेश नहीं करेंगे। बिड़ला समूह ने तो यहां तक कहा कि वे अपने शेयर मामूली कीमत पर नए खरीदार को बेचने के लिए तैयार हैं। और वोडाफोन पीएलसी ने सार्वजनिक रूप से कहा कि वह कंपनी में कोई अतिरिक्त निवेश नहीं करेगी।
लेकिन पिछले सप्ताह संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ मुलाकात के बाद बिड़ला समूह नरम पड़ गया। अब वे अन्य साझेदारों के साथ पैसा लाने और दूरसंचार कंपनी का प्रबंधन चलाने के लिए सहमत हो गए हैं।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि उन्होंने किसी राशि का वादा नहीं किया है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह बिड़ला परिवार पर है कि वह वोडाफोन पीएलसी को समझाए, जिसने भविष्य की कार्रवाई के बारे में पूछताछ के बावजूद इस मामले पर पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है। लेकिन सरकार के साथ सहमति बनने की प्रक्रिया में काफी देर होने से वीआईएल ने 2.611 करोड़ ग्राहक गंवा दिए हैं, जो सितंबर 2021 की तुलना में नवंबर 2022 के दौरान इसके कुल ग्राहकों का लगभग दसवां हिस्सा है, जब इस पैकेज की घोषणा की गई थी। ग्राहकों के निकलने की मिश्रित दर, जो अन्य नेटवर्क सेवा प्रदाताओं की ओर जाने वाले ग्राहकों को दर्शाती है, वित्त वर्ष 2022 के 2.9 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 4.3 प्रतिशत हो चुकी है।
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वित्तीय लिहाज से कंपनी का एबिटा मार्जिन इस अवधि के दौरान 2.5 प्रतिशत तक कम हो गया है, हालांकि प्रति उपयोगकर्ता कुल औसत राजस्व (एआरपीयू) में इजाफा हुआ है। वीआईएल का घाटा 6.5 प्रतिशत तक बढ़कर वित्त वर्ष 23 की सितंबर तिमाही में 7,595 करोड़ रुपये हो चुका है। इसी तिमाही के दौरान कंपनी का कर्ज भी 13 प्रतिशत तक बढ़ चुका है (आंशिक रूप से इसलिए क्योंकि यह 5जी स्पेक्ट्रम की खरीद कर रही है, जिसका भुगतान किया जाना है), जो वित्त वर्ष 23 की दूसरी तिमाही में 2.20 लाख करोड़ रुपये हो गया।