डिश टीवी के मुख्य कार्य अधिकारी मनोज डोभाल
डायरेक्ट-टु-होम (डीटीएच) उद्योग अपने ग्राहक आधार को बनाए रखने में चुनौतियों का सामना कर रहा है, जो ग्राहकों के डिजिटल प्लेटफॉर्म की ओर रुख करने से डीटीएच परिचालकों के राजस्व पर दबाव डाल रहा है। इसके परिणामस्वरूप डिश टीवी अपने राजस्व प्रवाह का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। डिश टीवी के मुख्य कार्य अधिकारी मनोज डोभाल ने रोशनी शेखर के साथ बातचीत में इस बारे में चर्चा की। प्रमुख अंश …
लाभ में आने की क्या योजना है?
ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से हम अभी तक लाभ में नहीं आए हैं। एक कारण है ग्राहकों का घटना, जिसका भविष्य के राजस्व पर भी क्रमिक असर पड़ता है। दूसरा, हम नए ग्राहक ज्यादा हासिल नहीं कर रहे हैं, क्योंकि अब बाजार में शायद ही कोई नया ग्राहक उपलब्ध हो। लोग (ग्राहक) केवल एक ब्रांड से दूसरे ब्रांड की ओर जा रहे हैं। आगे चलकर हम कंटेंट उपभोग के लिए डिवाइस बंडलिंग वाला पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर रहे हैं।
क्या लाभ में आने के लिए फिलहाल कोई लागत कटौती या परिचालन सुधार के उपाय किए जा रहे हैं?
लागत में सुधार के लिए अभी काफी कम गुंजाइश है। लेकिन हां, लागत में सुधार हमेशा ही कार्यप्रणाली का हिस्सा होता है। हम कोशिश कर रहे हैं, मानवशक्ति से लेकर विभिन्न प्रकृति वाले परिचालन व्यय तक, चाहे वह ट्रांसपोंडर शुल्क हो, प्रसारण व्यय हो, सामान्य और प्रशासनिक हो। इस पर हमारी पैनी नजर है। हम हार्डवेयर पूंजीगत व्यय पर सब्सिडी कम करके लाभ में सुधार करने के लिए भी काम कर रहे हैं। साथ ही अगले तीन से चार महीने में वॉचो (ओटीटी एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म, जिसमें मूल कंटेंट भी रहता है) हमारे लिए लाभ वाली स्वतंत्रत कारोबारी इकाई होगी। हम आने वाली तिमाहियों में वॉचो के लिए अपना निवेश भी बढ़ाएंगे। इसलिए आज हम केवल डीटीएच कंपनी नहीं हैं।
डीटीएच उद्योग को पिछले कुछ वर्षों में घटते ग्राहक आधार की वजह से कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा है। आपको लगता है कि यह गिरावट वित्त वर्ष 26 में भी जारी रहेगी?
डीटीएच (उद्योग) के कारोबार में पिछले दो-तीन वर्षों में बड़ी गिरावट देखी गई है, क्योंकि नई तकनीकें (ओटीटी प्लेटफॉर्म) आ रही हैं। जैसा कि किसी भी नई तकनीक के आने के साथ होता है, लोग पहले इसके बारे में अनुभव हासिल करते हैं और फिर निर्णय लेते हैं कि क्या वे अपना (ओटीटी प्लेटफॉर्म) जारी रखना चाहते हैं या वे पारंपरिक माध्यम पर वापस जाना चाहते हैं। इसके अलावा बहुत से ऐसे ग्राहक भी थे जो हर महीने भुगतान न करके सरलता और सुविधा चाहते थे, इसलिए वे मुफ्त चैनलों पर स्विच कर रहे थे। अब, (डीटीएच उद्योग में) हालांकि हमने पिछले दो साल में बहुत सारे ग्राहक खो दिए हैं, लेकिन आगे यह गिरावट रुकनी चाहिए। इसमें ब्रॉडकास्टर्स से भी मदद मिल सकती है।
भारती एयरटेल और टाटा ग्रुप के टीवी सेगमेंटों के बीच विलय की घोषणा पर आपका क्या नजरिया है? इससे डिश टीवी के लिए प्रतिस्पर्धी परिदृश्य में क्या बदलाव आएगा?
डीटीएच उद्योग में, कंपनियां कुछ नया करने की कोशिश के बजाय एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा ज्यादा कर रही हैं। ग्राहक सिर्फ एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जा रहे हैं। एकीकरण से निश्चित रूप से मदद मिलेगी। ई-वेस्ट पर बहुत ज्यादा अनावश्यक खर्च होता है, मैं इसे ई-वेस्ट या बाजार में फ्रेश बॉक्स लाना कहता हूं, एकीकरण के साथ यह सब बंद हो जाना चाहिए। इसके अलावा, टाटा और एयरटेल के साथ (भले ही उन्होंने इसकी पुष्टि नहीं की है) भविष्य में वे निश्चित रूप से अपने पूंजीगत व्यय को अनुकूल बनाएंगे या दो अलग-अलग सैटेलाइट या दो अलग-अलग ब्रॉडकास्टिंग स्टेशनों को बनाए रखने पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे।