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DLI Scheme 2.0: चिप डिजाइन फर्मों में हिस्सेदारी ले सकती है सरकार

DLI Scheme के जरिये 20 देसी कंपनियां तैयार करने का सरकार का लक्ष्य

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- July 16, 2023 | 9:30 PM IST

डिजाइन को प्रोत्साहन (DLI) योजना के दूसरे चरण के तहत सरकार सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन करने वाली देसी कंपनियों में हिस्सेदारी लेने की सोच रही है ताकि उन कंपनियों की मदद हो सके। इस बारे में प्रस्ताव पर चर्चा शुरू भी हो गई है।

अभी योजना का पहला चरण चल रहा है और दूसरे चरण की रूपरेखा तथा समयसीमा अभी तय की जानी है। फिलहाल उन कंपनियों की मदद करने और हिस्सेदारी लेने पर विचार चल रहा है, जो खुद को एक स्तर तक स्थापित कर चुकी हैं और विस्तार के अगले चरण में जाने को तैयार हैं।

इस कदम का मकसद देश में कुछ फैबलेस कंपनियां तैयार करना और चिप डिजाइन का तंत्र खड़ा करना है।

चर्चा में शामिल सरकारी सूत्रों ने कहा कि सरकार का इक्विटी निवेश मिल जाने के बाद इन डिजाइन कंपनियों को अपनी बड़ी हिस्सेदारी या पूरी कंपनी वैश्विक दिग्गजों को नहीं बेचनी पड़ेगी। स्वदेशी सेमीकंडक्टर डिजाइन कंपनियों की कुल आय अभी महज 3-4 करोड़ डॉलर है। देसी कंपनियों का मतलब वे कंपनियां हैं, जिनमें कुल पूंजी का कम से कम 50 फीसदी हिस्सा देश में ही निवास करने वाले किसी भारतीय नागरिक का हो।

मौजूदा DLI योजना दिसंबर 2021 में घोषित व्यापक सेमीकंडक्टर योजना का हिस्सा है, जिसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। इस योजना के तहत सरकार पात्र कंपनियों को कुल लागत की 50 फीसदी या प्रति आवेदन अ​धिकतम 15 करोड़ रुपये आ​र्थिक सहायता उपलब्ध करा रही है। इसके तहत 5 साल के दौरान शुद्ध बिक्री पर 4 से 6 फीसदी प्रोत्साहन भी दिया जाएगा, जो अ​धिकतम 30 करोड़ रुपये तक होगा। मगर यह प्रोत्सानह राशि तभी मिलेगी, जब उनके द्वारा बनाए गए चिप उत्पादों में लगेंगे। वै​श्विक सेमीकंडक्टर और फैबलेस कंपनियां भारत में हर साल 2,000 चिप डिजाइन करती हैं। इनमें से 90 फीसदी कंपनियां उन्नत चिप डिजाइन करती हैं और उनमें करीब 20,000 इंजीनियर काम कर रहे हैं।

इन कंपनियों में Intel (भारत में इसका दूसरा सबसे बड़ा डिजाइनिंग केंद्र है), Qualcomm और Mediatek (80 से 90 फीसदी शोध और विकास भारत में करती है) शामिल हैं। मगर इन कंपनियों की ज्यादातर बौद्धिक संपदा (IP) उनके अपने देश में होते हैं, भारत में नहीं।

डिजाइनिंग कंपनियों को अपनी डिजाइन की अवधारणा का साक्ष्य दिखाना होता है और खरीदारों को चिह्नित करने से पहले उक्त डिजाइन संबं​धित उत्पादों पर परखनी होती है।

मौजूदा DLI योजना के तहत सरकार इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन ऑटोमेशन टूल की मुहैया कराती है, जिसकी जरूरत डिजाइन और एकीकृत सर्किट, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड तथा इलेक्ट्रॉनिक्स को सत्यापित करने में होती है। यह टूल काफी महंगा होता है। इसलिए इलेक्ट्र्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी कंत्रालय ने तीन वै​श्विक आपूर्तिकर्ताओं – कैडेंस (Cadence), सिनॉ​प्सिस (Synopsys) और मेंटॉर (Mentor) के साथ गठजोड़ किया है ताकि पात्र कंपनियों को यह मुफ्त मिल सके। उम्मीद है कि इस योजना के जरिये सरकार सेमीकंडक्टर डिजाइन से जुड़ी कम से कम 20 देसी कंपनियों को बढ़ावा दे पाएगी।

DLI के तहत तीन कंपनियां पात्र पाई गई हैं, जिनमें वर्वसेमी माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स (Vervesemi Microelectronics), फर्मोनिक डिजाइन (Fermonic Design) और डीवी2जेएस इनोवेशन (DV2JS Innovation) शामिल हैं। इसी महीने गांधीनगर में होने वाले सेमीकॉन इंडिया में दो अन्य कंपनियों की भी घोषणा की जा सकती है।

इस बीच पीई फंड सिकोया कैपिटल (Sequoia Capital) ने चेन्नई की दो चिप डिजाइन कंपनियों इनकोर सेमी में 30 लाख डॉलर और माइंडग्रोव में 23 लाख डॉलर का निवेश किया है।

First Published : July 16, 2023 | 9:30 PM IST