चीन की सबसे बड़ी बिजली उपकरण बनाने वाली कंपनी दोंगफांग इलेक्ट्रिक कंपनी लिमिटेड (डीईसी) स्थानीय उत्पादन इकाई लगाने के लिए भारतीय कंपनियों से बातचीत शुरू कर चुकी है।
कंपनी के उच्च अधिकारी का कहना है कि कंपनी ने यह कदम सरकार की भावी योजना, किसी भी विदेशी उपकरण सप्लायर के लिए स्थानीय उत्पादन इकाई लगाना अनिवार्य, को देखते हुए उठाया हैं।
दोंगफांग इलेक्ट्रिक की स्थानीय उत्पादन क्षेत्र में प्रवेश से उम्मीद है कि सार्वजनिक क्षेत्र भारत हैवी इलेक्ट्रिक लिमिटेड (बीएचईएल)के लिए मुकाबला और कड़ा हो जाएगा और कुशल कर्मियों की उपलब्धता पर और दबाव बढ़ेगा। बीएचईएल पहले ही बिजली उपकरणों को मुहैया कराने में होने वाली देरी के कारण आलोचनाओं का सामना कर रही है।
दोंगफांग के भारत में मुख्य प्रतिनिधि वेन या का कहना है, ‘आपकी सरकार की अनिवार्य स्थानीय उत्पाद पॉलिसी से हमें हमारी योजनाओं में सिर्फ तेजी लानी होगी।’ उन्होंने बताया कि सरकारी दोंगफांग इलेक्ट्रिक कॉर्पोरेशन का एक हिस्सा यह कंपनी चार संभावित स्थानीय कंपनियों से बातचीत कर रही है और इस बारे में जल्द ही फैसला ले लिया जाएगा।
सिटीग्रुप इन्वेस्टमेंट रिसर्च के उनसार लंबे समय के लिए 8 से 10 प्रतिशत के बीच में विकास दर बनाए रखने के लिए भारत के लिए जरूरी है कि वह अपनी बिजली उत्पादन क्षमता को 2032 तक 6 गुना बढ़ाकर 800 गीगावाट कर ले, जो मौजूदा समय में 132 गीगीवाट है।
या का कहना है कि अगर दोंगफांग अपनी उत्पाद इकाई लगाने का फैसला ले भी लेती है तो भी अंतिम उत्पादों को स्थानीय बाजारों में बेचने में कम से कम 3 से 4 वर्ष लग जाएंगे। चीनी कंपनी की अलग-अलग क्षमता वाले उपकरण बनाने पर ध्यान दे रही है, जिसमें 500 मेगावाट से अधिक क्षमता वाले उपकरण भी शामिल होंगे। कंपनी को तीन वर्षों में 15,000 मोगवाट के ऑर्डर मिले हैं।