दिल्ली की ईएक्सएल सर्विसेस होल्डिंग की योजना लगभग 200 से 400 करोड़ रुपये तक के बीच की मझोली कंपनियों का इनऑरगैनिक विकास योजना के तहत अधिग्रहण करने की है।
कंपनी इस अधिग्रहण के लिए अमेरिका और भारत दोनों देशों की ओर देख रही है। कंपनी की योजना कम से कम एक सौदे को इस वित्त वर्ष के अंत तक पूरा करने की है।ईएक्सएल भारत में कंपनी के अधिग्रहण के लिए 200 से 400 करोड़ रुपये का निवेश करेगी, जबकि कंपनी की छोटी कंपनियों, जो अमेरिका में बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग सेवाएं मुहैया करा सकें, के बहु-अधिग्रहणों पर नजर है।
ईएक्सएल सर्विसेस के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोहित कपूर का कहना है, ‘अधिग्रहण हमारी विकास रणनीति का एक अहम हिस्सा है और यहां और विदेश में ये कंपनियां तभी खरीदी जा सकेंगी, जब हमें सही मौका मिलेगा।’ ईएक्सएल सर्विसेस के पास फिलहाल लगभग 400 करोड़ रुपये के फंड मौजूद हैं और अधिग्रहण को देखते हुए अगर जरूरत पड़ी तो कंपनी इक्विटी को इस्तेमाल करने की योजना बना सकती है।
कंपनी का अधिग्रहण के लिए नजरिया काफी व्यापक है। कंपनी ने 100 से 200 करोड़ रुपये लागत वाली कंपनियों में भी अपनी दिलचस्पी दिखाई है। इससे उद्योग में अधिग्रहण के बढ़ते आकार का भी प्रचलन का भी पता चलता है, जो आईटी कंपनियों के गिरते मूल्यांकन की वजह से और भी बढ़ रहा है।
2006 में इंडक्टीस के अधिग्रहण के बाद, ईएक्सएल ने और किसी अधिग्रहण में हिस्सा नहीं लिया। इस अधिग्रहण से कंपनी को विश्लेषण और अनुसंधान सेवाओं के क्षेत्र में बढ़त मिलेगी। ईएक्सएल के राजस्व में 30 प्रतिशत से अधिक हिस्सा कंपनी को अनुसंधान, विश्लेषण और जोखिम सलाह की सेवाओं से मिलता है और कंपनी अधिग्रहणों के जरिये इनमें अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए काफी उत्साहित भी है।
कंपनी का लेखा-जोखा
ईएक्सएल भारत में कंपनी के अधिग्रहण के लिए 200 से 400 करोड़ रुपये लगाएगी
कंपनी की छोटी कंपनियों, जो अमेरिका में बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग सेवाएं मुहैया कराती हैं, पर नजर
ईएक्सएल सर्विसेस के पास लगभग 400 करोड़ रुपये के फंड, जरूरत पड़ने पर कंपनी इक्विटी का इस्तेमाल करेगी