घरेलू सीमेंट उद्योग प्रति टन सीमेंट की शुद्ध वसूली में कमी दर्ज कर रहा है और इस उद्योग के जानकार बार-बार यह कह रहे हैं कि सीमेंट उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है।
लेकिन सीमेंट निर्माता कंपनी इंडिया सीमेंट्स इसका अपवाद है। कंपनी ने जून में समाप्त हुई तिमाही में वसूली में 6.32 फीसदी की बढ़त दर्ज की है। पिछले साल की तुलना में इस बार उत्पादन लागत में बढ़ोतरी के कारण उद्योग की औसत वसूली में तकरीबन 5-10 फीसदी की कमी आई है। देश के उत्तरी और मध्य क्षेत्र में सीमेंट कंपनियों को वसूली पर औसत नुकसान 100 रुपये प्रति टन उठाना पड़ा है।
इंडिया सीमेंट्स के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एन. श्रीनिवासन ने कहा, ‘कंपनी ने मूल्य में कटौती नहीं की है। उत्पादन खर्च में हुई बढ़ोतरी से निपटने के लिए हमने जून में समाप्त हुई तिमाही में सीमेंट की कीमत में मामूली इजाफा किया है।’ श्रीनिवासन ने कहा, ‘वित्तीय वर्ष 2008 में शुद्ध वसूली 2,784 रुपये प्रति टन थी और चालू तिमाही में यह वसूली 2,960 रुपये प्रति टन है।’ पिछले वित्तीय वर्ष की मार्च में समाप्त हुई तिमाही में कंपनी ने 2,834 रुपये प्रति टन के हिसाब से वसूली दर्ज की जो पिछले वित्तीय वर्ष की वसूली से 50 रुपये अधिक है।
श्री सीमेंट के प्रबंध निदेशक एच. एम. बंगुर ने कहा, ‘इस तिमाही में वसूली सभी जगह अलग-अलग रही। उत्तर और मध्य जोन में सीमेंट पर वसूली में 50-100 रुपये प्रति टन की कमी आई।’ 2012 तक अपनी उत्पादन क्षमता 60 लाख टन से बढ़ा कर 1.3 करोड़ टन करने की योजना बना रही बिनानी सीमेंट ने भी स्वीकार किया है कि वसूली में गिरावट आई है। बिनानी सीमेंट के प्रबंध निदेशक विनोद जुनेजा ने बताया, ‘वसूली कम रहने से मुनाफे पर दबाव पड़ा है। पिछले साल की तुलना में कंपनी की चालू तिमाही की वसूली निश्चित रूप से 10-15 फीसदी कम रहेगी।’
जेके सीमेंट मार्च में समाप्त हुई तिमाही में मुनाफे का सिलसिला बरकरार रखने में सफल रही। कंपनी ने कहा है कि चालू तिमाही में भी वह इसे बनाए रखेगी। कंपनी के महा प्रबंधक प्रशांत सेठ ने बताया, ‘वित्तीय वर्ष 2008 के लिए कंपनी की शुद्ध वसूली 2,600 रुपये प्रति टन रही, लेकिन चालू तिमाही में हम इसमें गिरावट आने की आशंका व्यक्त कर रहे हैं। चालू तिमाही में यह गिर कर 2400 रुपये प्रति टन रह सकती है।’