तेल पर फिसली दिग्गज

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 5:14 PM IST

तेल की बढ़ती कीमत और उस पर दी जा रही जबरदस्त सब्सिडी भारत की सबसे बड़ी कच्चा तेल उत्पादक कंपनी ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) के लिए गले की फांस बन गई है।


कभी दोनों हाथों से मोटा मुनाफा बटोरने वाली यह कंपनी इसके चलते अब घाटे के कगार पर पहुंच चुकी है। फिलहाल तेल की बिक्री पर कंपनी को प्रति बैरल 14 फीसदी लाभ मिल रहा है, जो कि उसे मिलने वाले मुनाफे की सबसे कम दर है।खतरे की घंटी को सुनते हुए ओएनजीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आर. एस. शर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से आशंका जताई कि भविष्य में तेल की कीमतों में अगर ऐसे ही उछाल आता रहा तो जल्द ही कंपनी घाटे में पहुंच जाएगी।


जाहिर है, अगर ओएनजीसी घाटे में पहुंच जाएगी तो कंपनी के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा। उधर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की रिकॉर्ड कीमतों की वजह से अन्य तेल उत्पादक कंपनियां भारी मुनाफा कमा रही हैं, जबकि सब्सिडी के कारण ओएनजीसी को नुकसान झेलना पड़ रहा है।दरअसल, तेल की बढ़ी कीमत से ओएनजीसी को इसलिए कोई फायदा नहीं हो पा रहा है, क्योंकि उसे रिफाइनरियों को काफी छूट (सब्सिडी) देनी पड़ रही है।


ओएनजीसी के एक अधिकारी ने बताया कि महज ओएनजीसी ही इकलौती ऐसी कंपनी है, जिसे तेल की बढ़ी कीमतों का फायदा नहीं मिल पा रहा है।कच्चे तेल की कीमत करीब दोगुनी होने और पेट्रोल, डीजल, केरोसिन, एलपीजी आदि के खुदरा दाम नहीं बढ़ने की वजह से तेल बेचने में लगी कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।


पिछले वित्तीय वर्ष में इन कंपनियों का घाटा 54,000 करोड़ रुपये था, जो चालू वित्त वर्ष में बढ़कर करीब 72,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इनमें से तकरीबन 33 फीसदी घाटा अकेले ओएनजीसी को ही झेलना पड़ता है।शर्मा ने बताया कि हालांकि यह गर्व की बात है कि देश में कुल कच्चे तेल की मांग का करीब 27 फीसदी उत्पादन ओएनजीसी करती है। लेकिन शायद इसीलिए उसे तेल कंपनियों के खुदरा घाटे का इतना बड़ा हिस्सा झेलना पड़ता है।


अगर ओएनजीसी को बचाना है, तो इस भार को घटाकर कम से कम 27 फीसदी तो करना ही होगा। चालू वित्त वर्ष में ओएनजीसी को प्रति बैरल 3200 रुपये (80 डॉलर) की दर से तेल का कुल भुगतान मिलता है, जबकि उसके हिस्से में महज 2120 रुपये (53 डॉलर) प्रति बैरल ही आ पाता है। बाकी हिस्सा सब्सिडी की भेंट चढ़ जाता है। तेल के उत्पादन की लागत बढ़ना भी कंपनी के मुनाफे में कमी का अहम कारण है।


शर्मा ने कहा कि कंपनी पेट्रोलियम मंत्रालय को इस बारे में पत्र लिख की सोच रही है कि तेल कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी का भार ओएनजीसी पर कुछ कम किया जाए। ओएनजीसी को नैचुरल गैस पर सालाना 700 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है।


 प्रति बैरल पर अब तक के सबसे कम मुनाफे की दर
तेल की कीमतों में अगर आग लगी रही तो घाटा निश्चित
अंतरराष्ट्रीय बाजार में बन गई सबसे बदहाल कंपनी, बाकी कंपनियों को हो रहा मुनाफा

First Published : March 28, 2008 | 1:34 AM IST