विमानन कंपनी गो फर्स्ट के समाधान पेशेवर (आरपी) ने आज कहा कि ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी), 2016 से संबंधित विवादों पर फैसला करने की शक्ति राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) के पास है, न कि दिल्ली उच्च न्यायालय के पास।
आरपी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल ने न्यायमूर्ति तारा वितास्ता गंजू को बताया कि अगर आईबीसी को इस देश में सफल होना है, तो आर्थिक मूल्य निकालने, मूल्य अधिकतम करने और दिवालिया के सफल समाधान के लिए कोई एकीकृत मंच होना चाहिए।
कौल ने आईबीसी में कहा कि एनसीएलटी के पास निर्णय लेने और रोक लगाने का अधिकार क्षेत्र है और यह देखने का यह किसी स्थिति पर लागू होता है या नहीं।
उन्होंने कहा कि अगर कोई पक्ष पंचाट के आदेश से असंतुष्ट है, तो वे राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय पंचाट (एनसीएलएटी) और सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर कर सकते हैं, लेकिन रिट क्षेत्राधिकार होने के कारण दिल्ली उच्च न्यायालय आईबीसी से इससे संबंधित विवाद का फैसला नहीं कर सकता है।