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गेमिंग ऐप मामले में होगी गूगल की जांच

गूगल ने आरोपों के जवाब में सीसीआई से कहा था कि उसकी विज्ञापन नीति स्पष्ट है और यह समान रूप से सभी पर एक समान तरीके से लागू होती है।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- November 29, 2024 | 7:07 AM IST

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने अनुचित व्यापार व्यवहार के मामले में वैश्विक तकनीकी फर्म Google और उसके सहयोगियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। मामला विंजो गेम्स का है, जिसने पैसे लगाकर ‘गेम’ खेलने की सुविधा देने वाले ऐप्स को गूगल प्लेस्टोर पर शामिल करने में अनुचित व्यापार व्यवहार किए जाने का आरोप लगाया है। प्रतिस्पर्धा आयोग ने आज जारी अपने आदेश कहा कि प्रथम दृष्टया पता चला है कि गूगल ने बाजार में अपने दबदबे का गलत इस्तेमाल करते हुए प्रतिस्पर्धा अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया।

विंजो गेम्स ने अपनी शिकायत में कहा है कि गूगल उसके ऐप को प्लेस्टोर में शामिल ही नहीं होने दे रहा है और जब कोई उपयोगकर्ता वेबसाइट से उसके ऐप को डाउनलोड करने की कोशिश करता है तो उसे मैलवेयर होने की चेतावनी दिखाई जाती है। विंजो ने कहा कि ऐसी चेतावनी से उसकी प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है और उसका ऐप इस्तेमाल करने की मंशा लेकर आ रहे यूजर दूर जा रहे हैं। आयोग ने अपने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता ने गूगल पर ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म जुपी और एमपीएल को तरजीह देने का आरोप लगाया है, जिससे पक्षपात किए जाने या चुने हुए पक्षों को प्राथमिकता दिए जाने की गूगल की नीति का पता चलता है, जो प्रतिस्पर्धा कानून की धारा  4(2)(ए)(आई) का उल्लंघन है। सीसीआई ने कहा, ‘अगर गूगल विज्ञापन देने वालों पर किसी भी तरह की रोक लगाती है तो वे होड़ से बाहर हो सकते हैं और मार्केटप्लेस में टक्कर देने की उनकी क्षमता भी कम हो सकती है।’

गूगल ने आरोपों के जवाब में सीसीआई से कहा था कि उसकी विज्ञापन नीति स्पष्ट है और यह समान रूप से सभी पर एक समान तरीके से लागू होती है। गूगल ने कहा, ‘विज्ञापन से होने वाली कमाई को बेवजह मना करने में गूगल का कोई व्यावसायिक हित नहीं है और वह जो भी करती है, कानूनी जोखिम कम करने के उद्देश्य से तथा कानून का पालन करने की बाध्यता के कारण करती है।’

विंजो ने अपनी शिकायत में यह भी कहा था कि गूगल पैसों से गेम खिलाने वाले ऐप्स की केवल दो श्रेणियों को ही अनुमति देने के पीछे सही दलील नहीं दे पाई है और इस पर उसके जवाब बदलते रहे हैं, बेबुनियाद हैं और धारणाओं तथा बाजार के बेजा आंकड़ों पर आधारित हैं।

गूगल का प्ले स्टोर सभी ऐंड्रॉयड डिवाइस पर पहले से ही इंस्टॉल कर दिया जाता है। इसलिए माना जाता है कि ऐप डेवलपर को इस प्लेटफॉर्म पर होना ही चाहिए।

आयोग ने कहा कि पैसे देकर नहीं खेले जाने वाले गेम्स के ऐप्स को प्लेस्टोर से बाहर रखना उन्हें बाजार में आने से रोकने के बराबर है।

आयोग ने महानिदेशक को 60 दिनों के भीतर जांच पूरी करने और विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। मगर उसने कहा कि आदेश में उसकी टिप्पणियां प्रथम दृष्टया हैं और उन्हें उसका अंतिम निर्णय नहीं माना जाए।

First Published : November 29, 2024 | 7:07 AM IST