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बर्तन उद्योग की गुणवत्ता नियंत्रण आदेश संबंधी चिंताएं दूर कर सकती है सरकार

बर्तन बनाने में हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल न हो, इस पर उद्योग भी सहमत है। लेकिन बर्तन बनाने में कितना कौन सा कंपोनेंट मिलाया जाएगा, इसमें लचरता होनी चाहिए।

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रामवीर सिंह गुर्जर   
Last Updated- December 21, 2023 | 7:14 PM IST

बर्तन निर्माता केंद्र सरकार के गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO) को इस उद्योग पर लागू करने के फैसले से चिंतित है। सरकार इस आदेश को क्रियान्वित करने से पहले इस उद्योग की चिंताओं को दूर कर सकती है। साथ ही इस आदेश को लागू करने के लिए उद्योग को ज्यादा मोहलत भी मिल सकती है।

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया एल्युमीनियम युटेन्सिल्स मैन्युफैक्चरर्स के एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि किसी उद्योग की घरेलू और वैश्विक स्तर पर मजबूती के लिए गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बहुत जरूरी है। गुणवत्ता मानक के माध्यम से सुनिश्चित होती है।

उन्होंने यह भी कहा कि QCO को लागू करते समय यह भी देखना चाहिए कि इससे उत्पादों की लागत बहुत ज्यादा न बढ़ जाए और कारोबार बाधित न हो।

सिंह ने कहा कि मैं भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) को निर्देशित करूंगा कि QCO से संबंधित बर्तन उद्योग की चिंताओं के बारे में चर्चा कर इन्हें दूर किया जाए। जो भी वास्तविक समस्या है, उसे दूर किया ही जाना चाहिए और QCO का फैसला लेते समय सभी हितधारकों खासकर उद्यमियों को सहमत करने की पूरी कोशिश होनी चाहिए।

फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया एल्युमीनियम युटेन्सिल्स मैन्युफैक्चरर्स के अध्यक्ष ब्रिज मोहन अग्रवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि उद्योग को QCO से कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन इसके कुछ प्रावधानों से खासकर छोटे उद्यमियों को परेशानी होगी। इसे दूर किया जाना चाहिए। बर्तन बनाने में हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल न हो, इस पर उद्योग भी सहमत है। लेकिन बर्तन बनाने में कितना कौन सा कंपोनेंट मिलाया जाएगा, इसमें लचरता होनी चाहिए। उद्योग को QCO के अनुरूप ढलने के लिए और समय मिलना चाहिए।

कार्यक्रम में मौजूद बीआईएस के एक अधिकारी ने बताया कि पहले भी जरूरत पड़ने पर QCO लागू करने की समय सीमा बढ़ाई गई है। आवश्यक होने पर बर्तन उद्योग के लिए भी आगे ऐसा किया जा सकता है।

एल्युमीनियम बर्तन के स्वास्थ्य पर बुरे असर की स्टडी की नए सिरे हो सकती है जांच

एल्युमीनियम के बर्तन की स्वास्थ्य पर विपरीत असर की स्टडी के बाद इन बर्तनों की घटती मांग ने उद्योग की चिंता बढ़ा दी है। अग्रवाल ने कहा कि इस स्टडी के बाद मिड डे मील,रेल्वे, कैटरर आदि की ओर से एल्युमीनियम के बर्तनों की मांग में कमी देखी जा रही है।

जवाहरलाल नेहरू एल्युमीनियम रिसर्च डेवलपमेंट ऐंड डिजाइन सेंटर के निदेशक डॉ. अनुपम अग्निहोत्री ने कहा कि एल्युमीनियम स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (WTO) ने भी प्रत्येक बॉडी के लिए एल्युमीनियम की मात्रा एक से बढ़ाकर दो मिलीग्राम कर दी है। ऐसा कोई तथ्य नहीं है, जो साबित करता हो कि एल्युमीनियम के बर्तन में खाना पकाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

उद्योग के इस मुद्दे पर उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि फोर्टिफाइड चावल के मामले में भी एम्स और आईसीएमआर के विचार अलग अलग हैं। ऐसे में एल्युमीनियम के बर्तन के स्वास्थ्य पर विपरीत असर की स्टडी पर उद्योग को आपत्ति है तो इसकी नए सिरे से जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ इस मसले को उठाना चाहिए और जरूरत पड़ने पर मैं सहयोग और मध्यस्थता करने को तैयार हूं।

First Published : December 21, 2023 | 7:14 PM IST