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डिजिटल प्रतिस्पर्धा बिल की सरकार कर रही तैयारी, कंपनी मामलों के मंत्रालय ने CDCL के सदस्यों को भेजा मसौदा

Digital competition Law के तहत कंपनियों को एक दूसरे के साथ कामकाज करने की सहूलियत यानी इंटरऑपरेबिलिटी देनी होगी, जानकारी साझा करनी होगी और पोर्टेबिलिटी भी सुनिश्चित करनी होगी

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- February 11, 2024 | 10:24 PM IST

कंपनी मामलों के मंत्रालय ने डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून की समिति (सीडीसीएल) के सदस्यों को डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक का मसौदा जारी किया है, जिसमें कानून का उल्लंघन होने से रोकने वाले कायदे भी शामिल हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इसके तहत डिजिटल कंपनियों को एक दूसरे के साथ कामकाज करने की सहूलियत यानी इंटरऑपरेबिलिटी देनी होगी, जानकारी साझा करनी होगी और पोर्टेबिलिटी भी सुनिश्चित करनी होगी।

सूत्रों ने कहा कि सरकार प्रस्तावित कानून पर आम सहमति बनाना चाहती है। इसमें अन्य बातों के अलावा रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण डिजिटल मध्यस्थों या एसआईडीआई की पहचान करने के लिए गुणात्मक और मात्रात्मक पैमाने तय करना शामिल है। विधेयक का मसौदा मोटे तौर पर यूरोपीय संघ के डिजिटल मार्केट कानून पर आधारित है।

समिति के सदस्यों के साथ मशविरे के बाद जल्द ही कंपनी मामलों का मंत्रालय विधेयक के मसौदे पर रिपोर्ट को अंतिम रूप दे सकता है। इसमें दिए गए कायदों ने ई-कॉमर्स क्षेत्र में मध्यस्थ (गेटकीपर) प्लेटफॉर्मों की पहचान के लिए पैमाना तय कर दिया है।

घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा, ‘इसमें कहा गया है कि व्हाट्सऐप और टेलीग्राम जैसे ऐप को अपने एपीआई (ऐप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) एक-दूसरे के साथ साझा करने चाहिए ताकि ईमेल सेवाओं की तरह इसमें भी इंटरऑपरेबिलिटी सुनिश्चित हो सके।’ प्रतिस्पर्धा कानून डिजिटल मार्केट के लिए नियमों का उल्लंघन होने के बाद लागू होने वाले कायदे भी दिए गए हैं। यदि कोई कंपनी बाजार में दबदबे का गलत इस्तेमाल जैसे उल्लंघन करती है तो इन कायदों के तहत उस पर कार्रवाई की जाएगी।

संसद में जयंत सिन्हा की अध्यक्षता में एक स्थायी समिति गठित की गई थी, जिसने पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए दिसंबर, 2022 में ‘डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून’ नाम से एक रिपोर्ट सदन में पेश की थी।

समिति ने कहा था कि सरकार को एसआईडीआई की समुचित परिभाषा बनाने और सख्त कायदे बनाने की जरूरत है। समिति ने सुझाव दिया था कि डिजिटल इकाइयों को राजस्व, बाजार पूंजीकरण और सक्रिय उपयोगकर्ताओं की संख्या के आधार पर श्रेणियों में बांटा जाना चाहिए।

समिति की रिपोर्ट उस समय आई थी, जब गूगल, ऐपल, फेसबुक और एमेजॉन जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों के खिलाफ दुनिया भर में जांच बढ़ रही थी। इसके बाद फरवरी, 2023 में कंपनी मामलों के मंत्रालय के सचिव मनोज गोविल की अगुआई में डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून पर एक समिति गठित की गई। उसे तीन महीने के अंदर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया था।

समिति में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के चेयरमैन और इंडियन ऐंजल नेटवर्क के चेयरमैन तथा नैसकॉम के सह-संस्थापक सौरभ श्रीवास्तव शामिल हैं। समिति में विधि फर्मों के प्रतिनिधि के तौर पर खेतान ऐंड कंपनी के हयग्रीव खेतान, शार्दूल अमरचंद मंगलदास ऐंड कंपनी की पल्लवी शार्दूल श्रॉफ, पीऐंडए लॉ ऑफिसेस के आनंद पाठक और ऐक्जियम5 लॉ चैंबर के राहुल राय शामिल थे।

First Published : February 11, 2024 | 10:24 PM IST