भयंकर मंदी और बढ़ती कीमतों के तूफान के बावजूद रियल एस्टेट कंपनी पार्श्वनाथ ने हरियाणा के पंचकूला में 13 हजार एकड़ में फैली 50 हजार करोड़ के निवेश वाली नैनो सिटी हरियाणा लिमिटेड परियोजना की घोषणा कर ही दी।
इस अवसर पर कंपनी के अध्यक्ष प्रदीप जैन ने कहा कि कंपनी यह परियोजना हॉटमेल के निर्माता सबीर भाटिया और हरियाणा राज्य औद्योगिक एंव बुनियादी ढांचा विकास निगम (एचएसआईआईडीसी) के साथ पीपीपी (सार्वजनिक निजी समझौते) के तहत ला रही है।
इस परियोजना में पार्श्वनाथ की इक्विटी हिस्सेदारी 38 फीसदी, एचएसआईआईडीसी की हिस्सेदारी 10 फीसदी और सबीर भाटिया की हिस्सेदारी 52 फीसदी रहेगी। इस परियोजना को अगले दस वर्षो में पूरा किया जाएगा। शुरुआती चरण में इस परियोजना के 5 हजार एकड़ का विकास किया जाएगा।
पार्श्वनाथ इस परियोजना में 400 करोड़ रुपये का निवेश इक्विटी और कर्ज के तौर पर करेगी। इतनी बड़ी परियोजना के लिए पैसा जुटाने के सवाल पर जैन ने कहा कि हम इसके लिए बैंक से कर्ज लेंगे, आईपीओ लांऐगे और वेंचर कैपिटल जुटायेंगे। तगड़ी मंदी के समय इतना बड़ा निवेश करने के सवाल पर जैन ने बताया कि मांग में बढ़ोतरी हो रही है इसलिए हम इतनी बड़ी परियोजना में निवेश कर रहें है।
लोन की दरें और लागत बढ़ने से कीमतों में हुई बढ़ोतरी के चलते इस परियोजना में पड़ने वाले प्रभाव के ऊपर जैन का कहना है कि कीमतें अगर बढ़ती है तो हम अपने लाभ में कमी नहीं करेंगे वरन् बढ़ी कीमतों को सीधे तौर पर उपभोक्ताओं पर स्थानातंरित किया जाएगा। पिछले छह महीनों में ही हमारी कंपनी ने अपनी कीमतों में 33 से 39 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। अंत में इस परियोजना की खूबियां बताते हुए सबीर भाटिया ने कहा कि इस में रिहायशी मकानों के अलाव शापिंग मॉल, मल्टीप्लेक्स, गोल्फ कोर्स, मेडिकल सुविधाएं और स्पोटर्स सेंटर होंगे।
यहीं नहीं परियोजना का 25 फीसदी हिस्सा औद्योगिक क्षेत्र के तौर पर विकसित किया जाएगा। पूरी परियोजना को चार जिलों में बांटा जाएगा। इनमें सूचना तकनीक वाला आईटी जिला, शिक्षा के विकास के लिए विश्वविद्यालय जिला, जनसुविधाओं के लिए फैसिलिटी जिला और बायोटेक्नोलॉजी जिला होगा। कुछ दिनों पहले अंसल एपीआई ने भी ग्रेटर नोएडा में 9 हजार एकड़ में फैली इसी तरह की मेगापोलिस परियोजना की घोषणा की थी।
विश्लेषकों का मानना है कि अब रियल एस्टेट कंपनियां मंदी और घाटे से बचने के लिए ऐसी परियोजनाओं में निवेश कर रहीं है। जो रिहायशी होने के साथ ही औद्योगिक रूप भी रखती हो। कंपनियों द्वारा यह परियोजनाए मंदी में सुधार की गुंजाइश के चलते दस साल की लंबी अवधि के लिए चलाई जा रहीं है।