दुनियाभर के विमानन कंपनियों के समूह इंटरनैशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) ने मंगलवार को कहा कि भारत का टैक्स सिस्टम जटिल है तथा देश में तेजी से बढ़ रहे नागर विमानन बाजार की क्षमता के उपयोग के लिए इसे और भरोसेमंद बनाने की जरूरत है। IATA के महानिदेशक विली वॉल्श ने कहा कि भारत उन नागर विमानन बाजारों में से एक है, जहां वृद्धि के काफी अवसर हैं और इसकी वृद्धि दर चीन से आगे निकलने की उम्मीद है।
हाल के दिनों में विदेशी विमानन कंपनियों को मिले टैक्स नोटिस के संदर्भ में, वॉल्श ने कहा, ‘‘भारत में टैक्स सिस्टम काफी जटिल है और यह हमारे उद्योग के लिए एक तरह से ‘विशेषता’ बन गयी है। यानी यह कोई नया मुद्दा नहीं है।’’ वॉल्श ने कहा कि देश को पूरी क्षमता का उपयोग करने और इस दृष्टिकोण को वास्तविकता में बदलने के लिए कराधान के मुद्दों का समाधान करना चाहिए।
उन्होंने दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘इसका मतलब यह नहीं है कि आपको कराधान को खत्म करना होगा, लेकिन मुझे लगता है कि आपको इस बारे में स्पष्ट समझ होनी चाहिए कि कराधान नियम कैसे लागू होते हैं।’’ इस मुद्दे पर विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि विमानन कंपनियों को कभी-कभी मौजूदा नियम की एक नई व्याख्या मिलती है जो पहले की व्याख्या से पूरी तरह अलग होती है। ऐसी स्थिति में करों के लिए दावा किया जाता है जो भुगतान नहीं किया गया है और यह लंबे समय तक कानूनी विवाद और चर्चाओं की ओर ले जाता है जो अंततः हल हो जाती है। कई मामलों में यह एयरलाइन के पक्ष में जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि भारत को वास्तव में यहां मौजूद विशाल अवसर का उपयोग करना है, तो कराधान के बारे में अधिक निश्चितता महत्वपूर्ण होगी।’’
इंटरनैशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) एयर इंडिया, इंडिगो और स्पाइसजेट सहित 350 से अधिक विमानन कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है। समूह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हवाई अड्डे के शुल्क अधिक होने के बारे में भी मुखर रहा है। वॉल्श ने इस मुद्दे पर IATA के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए कहा कि विमानन कंपनियां किफायती कीमत पर कुशल हवाई अड्डा संचालन चाहती हैं। ‘‘हम चाहते हैं कि हवाई अड्डे विवेकपूर्ण तरीके से दीर्घकालिक निवेश करें जिसे उद्योग वहन कर सके।’’
वॉल्श के अनुसार, एयरलाइन कंपनियों और हवाई अड्डों के बीच अधिक संवाद की आवश्यकता है। IATA ने अपनी वार्षिक आम बैठक (AGM) एक से तीन जून तक राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित की गई। यह बैठक 42 साल में पहली बार भारत में हुई।
(PTI के इनपुट के साथ)