सरकारी कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) गैस वितरण के लिए संयुक्त उपक्रम स्थापित करने के वास्ते तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और गेल (इंडिया) के साथ बातचीत कर रही है।
बातचीत अभी शुरुआती चरण में है। कंपनी लखनऊ और आगरा में अपने संयुक्त उपक्रम ग्रीन गैस लिमिटेड (जीजीएल) के जरिये गेल के साथ पहले ही संचालन शुरू कर चुकी है।
आईओसी के निदेशक (बिजनेस डेवलपमेंट) बी. एम. बंसल ने इस करार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘शहरों में गैस वितरण के लिए एक संयुक्त उपक्रम स्थापित करने के लिए हम इन कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। लेकिन हम पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) के दिशा-निर्देशों के बाद ही इसे अंतिम रूप दे पाएंगे।’
पीएनजीआरबी ने नवंबर, 2007 में देश में गैस वितरण नेटवर्क विकसित करने के लिए सार्वजनिक एवं निजी कंपनियों के चयन के लिए प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया का प्रस्ताव रखा था। इस तेल नियामक ने कुछ नियमितताएं जारी की थीं जिनमें स्थानीय गैस वितरण नेटवर्कों के निर्माण या विस्तार के लिए कंपनियों के चयन का प्रस्ताव रखा गया था।
प्रस्ताव के मुताबिक बोर्ड ऐसे नेटवर्क के लिए लाइन बिछाने, संचालन या विस्तार में दिलचस्पी दिखाने वाली कंपनियों से प्रारंभिक बोली आमंत्रित कर सकता है। कंपनियों की ओर से पेश किए गए तकनीकी और शुल्क ब्यौरों के आधार पर इस बोली प्रक्रिया का आकलन किया जाएगा।
फिलहाल राज्य सरकारों ने गैस वितरण नेटवर्क तैयार करने के लिए कंपनियों के मानदंडों के आधार पर उन्हें अधिकृत किया है। फिलहाल इंद्रप्रस्थ गैस, महानगर गैस और गुजरात गैस जैसी कंपनियां चुनिंदा शहरों में रिटेल ग्राहकों को गैस का वितरण करती हैं। सरकार ने अगले पांच वर्षों में लगभग 200 शहरों में गैस नेटवर्क लगाने की योजना बनाई है। इस पर लगभग 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
फिलहाल देश में लगभग 5 लाख लोगों के रसोईघरों तक यह गैस उपलब्ध है। यह गैस लिक्वीफाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत सस्ती है। सरकार ने अगले कुछ वर्षों में दो करोड़ घरों तक गैस पहुंचाने की योजना बनाई है। इससे यह स्पष्ट है कि इस पहल से आईओसी को तो लाभ पहुंचेगा ही, साथ ही लाखों की तादाद में लोग इससे लाभान्वित होंगे।