दुनिया के सबसे रईस क्रिकेट बोर्ड भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की कमाई पर अब आयकर विभाग की नजर पड़ गई है।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को इस वित्त वर्ष से ही इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल), टेलीविजन के अधिकारों की बिक्री से, टिकटों और विज्ञापनों से होने वाली कमाई पर कर का भुगतान करना पड़ेगा। आयकर विभाग जल्द ही बीसीसीआई को आयकर अधिनियम, 1961, की धारा 11(4) के आधार पर कर का भुगतान करने के लिए कह सकता है।
यह धारा ट्रस्ट की व्यावसायिक गतिविधियों पर लगाई जाती है। इस धारा के लगने के बाद बीसीसीआई को इस वित्त वर्ष में 33.99 फीसदी की दर से कर का भुगतान करना पड़ेगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने बीसीसीआई पर संभावित करों का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया है। सूत्रों के मुताबिक यह समिति भी कुछ ऐसे ही कर लगाने की रिपोर्ट बोर्ड को सौंपेगी।
आयकर विभाग के पास बोर्ड धारा 12 (ए) के तहत एक ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत है। बीसीसीआई को अभी तक धारा 11 के तहत चैरिटेबल ट्रस्ट की तरह ही करों से छूट दी जा रही थी। लेकिन अब आयकर विभाग बीसीसीआई का ट्रस्ट का दर्जा समाप्त कर पब्लिक युटिलिटी कंपनी का दर्जा देने पर विचार कर रहा है। चैरिटी के नाम पर छूट लेने के मामले में हो रही धोखाधड़ी को देखते हुए सरकार ने इस बार बजट के दौरान वित्त मंत्रालय ने चैरिटी की परिभाषा में फेर-बदल किया है। नई परिभाषा के मुताबिक किसी भी चैरिटी को व्यावसायिक कार्य से होने वाली कमाई पर कर में छूट नहीं मिलेगी।
एक अधिकारी ने कहा, ‘इस मामले पर हम बीसीसीआई को कोई सर्कुलर नहीं भेजने वाले हैं। हम बीसीसीआई से व्यावसायिक गतिविधियों से होने वाली कमाई पर कर देने के लिए कहने वाले हैं।’ अगर बीसीसीआई आईपीएल, विज्ञापन, टीवी पर प्रसारण अधिकारों की बिक्री, और टिकटों से होने वाली कमाई को नहीं दिखाते हैं तो इस मामले से जुड़े अधिकारी अकाउंट्स को अलग करने या ऑडिट करने के ऑर्डर भी दे सकते हैं। इसके अलावा विभाग तिमाही अग्रिम कर भुगतान की भी जांच करेगी। आखिरी जांच सितंबर 2009 के आयकर रिर्टन भरने के बाद जांच की जाएगी।