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इंडियाफर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस में सीईओ ऋषभ गांधी ने कहा, सही वक्त व माहौल में लाएंगे आईपीओ

पिछले साल कई वजहों से हमारे खुदरा कारोबार में करीब 19.5 प्रतिशत गिरावट आई थी। वित्त वर्ष 2025 समेकन का वर्ष होगा और हम उम्मीद कर रहे हैं कि कारोबार की वृद्धि एक अंक में रहेगी।

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आतिरा वारियर   
Last Updated- July 07, 2024 | 5:33 PM IST

हाल में इंडियाफर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस में एमडी और सीईओ का पदभार संभालने वाले ऋषभ गांधी ने आतिरा वारियर से बातचीत में कहा कि पॉलिसियों में विविधता लाकर सरेंडर वैल्यू मानक में बदलाव के असर को कम किया जा सकता है। प्रमुख अंश

चालू वित्त वर्ष के दौरान पहले साल के प्रीमियम में वृद्धि का क्या लक्ष्य है?

पिछले साल कई वजहों से खुदरा में करीब 19.5 प्रतिशत गिरावट आई थी। वित्त वर्ष 2025 समेकन का वर्ष होगा और हम उम्मीद कर रहे हैं कि कारोबार की वृद्धि एक अंक में रहेगी।

कंपनी के आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के बारे में आपकी क्या योजना है?

हमारा आईपीओ टाल दिया गया है और हम इसे अगले 18 महीनों में ही ला पाएगे। बाजार के लिहाज से ही नहीं बल्कि उद्योग के हिसाब से भी हमें अनुकूल वातावरण की जरूरत है। हम सही वक्त और सही माहौल में आईपीओ लाने की योजना बनाएंगे।

क्या आप डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल में किसी बदलाव की योजना बना रहे हैं?

इस साल हमने एजेंसी के मामले में व्यापक विस्तार योजना बनाई है। अगले 3 साल में समर्पित और संपूर्ण टीम के साथ 100 शाखाएं स्थापित करने की योजना बनाई गई है। हम वित्त वर्ष 2025 में ही 30 से ज्यादा शाखाएं खोलेंगे।

हम प्रतिष्ठित ब्रोकरों व डिजिटल बिजनेस की हिस्सेदारी बढ़ाने पर भी ध्यान दे रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि अगले 3 साल में बैंक एश्योरेंस के अलावा दूसरे रास्तों से कारोबार की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत हो जाएगी, जिसकी हिस्सेदारी इस समय एक अंक में है।

सरेंडर वैल्यू के संशोधित मानकों के बाद प्रोडक्ट मिक्स को लेकर आपकी क्या योजना है?

हमारा करीब 60 प्रतिशत कारोबार नॉन पार्टिसिपेटरी उत्पादों से आता है। शेष हिस्सा यूनिक लिंक्ड प्रोडक्ट्स और पार्टिसिपेटिंग प्रोडक्ट्स में आधा आधा बंटा है। तात्कालिक हिसाब से स्पेशलाइज्ड सरेंडर वैल्यू (एसएसवी) से मार्जिन पर थोड़ा दबाव आ सकता है। इसका असर कम करने के रास्ते हैं। पहला यह है कि पॉलिसियों में विविधता लाई जाए।

जैसे ही कोई प्रमुख गैर बराबरी वाले पोर्टफोलियो से हटता है और अधिक संतुलित पोर्टफोलियो की ओर बढ़ता है, एसएसवी जोखिम का एक हिस्सा कम हो जाता है।

एसएसवी जोखिम कम करने के अन्य तरीकों में कमीशन संरचना, ग्राहक लाभ और व्यय दक्षताओं पर फिर से विचार करना शामिल है। कुल मिलाकर नए दिशानिर्देशों से हमारे मार्जिन पर थोड़ा असर पड़ सकता है। हालांकि कुल मिलाकर देखें तो उद्योग के अनुरूप ही प्रभाव रहेगा।

First Published : July 5, 2024 | 10:31 PM IST