अनिल अंबानी की रिलायंस पावर के अलावा न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन (एनपीसीआईएल) और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स (बीएचईएल) जैसी कई कंपनियां अगले पांच वर्षों में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में 1 लाख करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बना रही हैं।
अमेरिका के साथ परमाणु करार पर हस्ताक्षर होने के बाद ये कंपनियां इस क्षेत्र में निवेश करेंगी। करार होने के बाद देश में परमाणु ऊर्जा से जुड़े ईंधन और तकनीक का आयात हो सकेगा।
आरपावर बढ़ाएगी पावर
रिलायंस पावर की योजना परमाणु ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में लगभग 20 हजार करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश करने की है। फिलहाल कंपनी 28 हजार मेगावाट की ताप बिजली परियोजनाएं चला रही है।
न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक और रिलायंस पावर के परमाणु ऊर्जा सलाहकार डॉ. वी के चतुर्वेदी ने बताया, ‘कंपनी की योजना 1,000-1,500 मेगावाट क्षमता वाले एक या दो रिएक्टर के साथ शुरुआत करने की है और बाद में क्षमता बढ़ाई जाएगी।’ रिलायंस पावर परमाणु ऊर्जा उत्पादन, प्रौद्योगिकी और उपकरणों के लिए संयुक्त उद्यम और गठजोड़ के वास्ते प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ बातचीत शुरु कर दी है।
न्यूक्लियर पावर क्षमता दोगुनी करेगी
न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन की 2012 तक 80 हजार करोड़ रुपये से अधिक निवेश करने की योजना है। कंपनी को उम्मीद है कि वह 10 हजार मेगावाट का अतिरिक्त उत्पादन कर अपनी क्षमता दोगुना कर लेगी। एनपीसीआईएल के कार्यकारी निदेशक, सुधिंदर ठाकुर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘ईंधन की उपलब्धता से हमारे मौजूदा रिएक्टरों की क्षमता के इस्तेमाल को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत तक करने में मदद मिलेगी, जो कंपनी के मौजूदा उत्पादन से लगभग दोगुनी होगी।’
भारत में मौजूदा समय में 17 परमाणु ऊर्जा इकाइयां हैं, जिनकी कुल क्षमता 4,120 मेगावाट है, जिसमें से 540 मेगावाट वाली दो इकाइयां तारापुर में एक 220 मेगावाट की इकाई कैगा में हैं।
एल ऐंड टी भी बनाएगी रिएक्टर
इंजीनियरिंग क्षेत्र की प्रमुख कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) भी परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में उतरने पर विचार कर रही है। कंपनी की योजना परमाणु रिएक्टर बनाने की है।
ऊर्जा क्षेत्र की नामी कंपनियां जो परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में उतरने पर विचार कर रही हैं, उनमें अरेवा, सीमेंस एजी और एबीबी लिमिटेड शामिल है। बीएचईएल की योजना अगले दो वर्षों में 1,600 मेगावाट क्षमता वाले रिएक्टरों को कम्पोनेंट सप्लाई करने के लिए संयंत्र बनाने की है, जिसके लिए कंपनी 1,500 करोड़ रुपये निवेश करेगी।