‘ओम शांति ओम’ के शाहरुख खान या ‘गजनी’ के आमिर खान की तरह सिक्स पैक एब्स बनाने पर आमादा युवक और शिल्पा शेट्टी जैसी छरहरी काया की हसरत लिए युवतियों की दिनचर्या में फिटनेस केंद्र सबसे जरूरी हिस्सा बन गए हैं।
इसी वजह से देश में फिटनेस उपकरणों का बाजार भी दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। आने वाले दिनों में इसे जीवनशैली से जुड़े सबसे बड़े उद्योगों का दर्जा मिलने की पूरी संभावना है। देश भर में महानगरों या छोटे शहरों से लेकर कस्बों और गांवों तक में बदलते रहन सहन के साथ जिम्नेजियम यानी जिम खुलते जा रहे हैं।
संगठित क्षेत्र की नामी फिटनेस शृंखलाएं हों या गली-मोहल्लों में खुलने वाले जिम, उनकी तादाद दिनोदिन बढ़ती ही जा रही है। बाजार के जानकारों के मुताबिक फिलहाल देश में फिटनेस और सौंदर्य का बाजार लगभग 2,000 से 2,500 करोड़ रुपये का है। इसमें हर साल 30 से 40 फीसद की बढ़ोतरी हो रही है। पिछले 3 साल में तो इस बाजार में जबरदस्त तेजी से इजाफा हुआ है। इसकी वजह से फिटनेस उपकरण बनाने वाली अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भी भारत को अपना ठिकाना बनाने लगी हैं।
फिटनेस फर्स्ट, पावर प्लेट, प्रोलाइन और ग्रैंड स्लैम जैसी कुछ कंपनियां भारत के बाजार को काफी उम्मीद के साथ देख रही हैं। मध्य वर्ग हो या उच्च आय वाला वर्ग, रहन सहन में आ रहे बदलाव से ये कंपनियां अच्छी तरह वाकिफ हैं और इसका फायदा उठाने से वे बिल्कुल चूकना नहीं चाहतीं। इनमें से ज्यादातर कंपनियां महंगे व्यायाम उपकरण बना रही हैं। मसलन पावर प्लेट के उपकरणों की कीमत ही 1.5 लाख रुपये से शुरू होती है। इसी वजह से ये कंपनियां मध्य वर्ग के बजाय कॉरपोरेट जगत, फैशन और ग्लैमर के क्षेत्रों में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रही हैं।
प्रोलाइन के मुख्य कार्यकारी राजीव वालिया ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमारे ग्राहकों में निजी उपयोगकर्ता भी हैं और जिम, हेल्थ क्लब, अपार्टमेंट तथा सरकारी संस्थाएं भी हमारे उपकरण खरीद रही हैं। लेकिन कॉरपोरेट ग्राहकों पर हमारा ज्यादा ध्यान है। फिलहाल हमें 25 फीसद से ज्यादा राजस्व इसी वर्ग से मिलता है।’ प्रोलाइन के ग्राहकों में एलऐंडटी, इन्फोटेक, रिलायंस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और माइक्रोसॉफ्ट आदि शुमार हैं।
पावर प्लेट के ग्राहकों में सैमसंग, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एडिडास आदि हैं और ग्रैंड स्लैम के पास विप्रो, जीई और एयरटेल जैसे ग्राहक हैं। लेकिन फिटनेस का बाजार केवल कॉरपोरेट ग्राहकों या विदेशी कंपनियों के बीच ही खत्म नहीं हो जाता। देशी कंपनियों का अब भी इस बाजार में अच्छा खासा दबदबा है। आंकड़ों के मुताबिक देश के 80 फीसद फिटनेस बाजार पर अभी देशी कंपनियां ही काबिज हैं।
भारत में राजधानी दिल्ली के अलावा मेरठ, पुणे और लुधियाना जैसे शहरों में मुख्य रूप से फिटनेस के उपकरण बनाए जाते हैं। इन कंपनियों को ज्यादातर बाजार असंगठित क्षेत्र के जिम से मिलता है। मेरठ की साहनी स्पोट्र्स, स्टैग इंटरनेशनल और दिल्ली की महाजन संस तथा मट्टा स्पोटर्स जैसी कंपनियों के मुताबिक पिछले 2-3 वर्षों में उनकी बिक्री में जबरदस्त इजाफा हुआ है।