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प्राइवेट निवेश से भारत के डिफेंस सेक्टर को कैसे मिलेगा बढ़ावा? BS मंथन में चर्चा

बीएस मंथन 2025 में डिफेंस सेक्टर के दिग्गजों ने खुलकर अपनी राय रखी और बताया कि कैसे भारत आने वाले सालों में अपनी रक्षा ताकत को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- February 27, 2025 | 8:59 PM IST

दिल्ली में दो दिन का BS मंथन समिट शुरू हुआ, जहां इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स ने भारत के डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट की बढ़ती भूमिका पर चर्चा की। बिजनेस स्टैंडर्ड के एके भट्टाचार्य के साथ बातचीत में कई अहम व्यक्तियों ने डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग और रिसर्च के बदलते हालात पर अपने विचार साझा किए। समिट में प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी को बढ़ावा देने और डिफेंस सेक्टर को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया।

फैसले लेने में पारदर्शिता तो आई, लेकिन रफ्तार अभी भी सुस्त

एडमिरल (से.नि.) आर. हरि कुमार ने कहा कि भारत में डिफेंस सेक्टर में फैसले लेने की प्रक्रिया पहले के मुकाबले पारदर्शी तो हुई है, लेकिन अभी भी इतनी धीमी है कि जरूरी तकनीक को मंजूरी मिलने तक वह पुरानी हो जाती है। उन्होंने कहा कि अगर हम वाकई आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं, तो इस सुस्ती को जल्द खत्म करना होगा।

डिफेंस सेक्टर में भी चाहिए ‘पूरा राष्ट्र’ अप्रोच

DRDO के चेयरमैन समीर वी. कामत ने साफ कहा कि सिर्फ सरकार अकेले यह काम नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, “हमें ‘पूरा राष्ट्र’ अप्रोच अपनाने की जरूरत है। अगर सरकार, निजी कंपनियां और रिसर्च संस्थान मिलकर काम करें, तो हम दुनिया की बड़ी रक्षा ताकत बन सकते हैं।”

“ये दिल मांगे मोर!” – रक्षा उत्पादन में चाहिए ज्यादा निजी भागीदारी

कल्याणी ग्रुप डिफेंस के चेयरमैन राजिंदर सिंह भाटिया ने निजी कंपनियों की सीमित भागीदारी पर सवाल उठाते हुए कहा, “ये दिल मांगे मोर!” उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ 22% रक्षा उत्पादन ही निजी कंपनियों के हाथ में है, जबकि एक्सपोर्ट में उनका योगदान ज्यादा है। अगर भारत को सुरक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बनना है, तो निजी क्षेत्र को ज्यादा बड़ा रोल देना ही होगा।

डिफेंस सेक्टर के लिए अलग बैंक? क्यों नहीं

डिफेंस सेक्टर में छोटे और मझोले उद्यमों (SMEs) को पैसा जुटाने में दिक्कत होती है। इस पर एडमिरल (से.नि.) हरि कुमार ने सुझाव दिया कि जैसे घर और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए अलग बैंक होते हैं, वैसे ही “डिफेंस बैंक” भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पारंपरिक बैंक डिफेंस सेक्टर की जरूरतों को सही से समझ नहीं पाते, जिससे कंपनियों को फंडिंग में मुश्किल आती है।

रक्षा खरीद प्रक्रिया होगी सुपरफास्ट

अभी रक्षा सौदों को पूरा होने में सालों लग जाते हैं, लेकिन समीर वी. कामत ने ऐलान किया कि इस साल के आखिर तक खरीद प्रक्रिया को तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार अब सार्वजनिक और निजी कंपनियों को बराबरी का मौका दे रही है, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और देश को ज्यादा अच्छी और सस्ती रक्षा तकनीक मिलेगी।

निजी क्षेत्र की तेजी से बढ़ रही हिस्सेदारी

एडमिरल (से.नि.) हरि कुमार ने बताया कि पहले डिफेंस सेक्टर में निजी कंपनियों को ज्यादा मौका नहीं दिया जाता था, लेकिन अब यह सोच बदल रही है। उन्होंने कहा, “अब सरकार निजी कंपनियों के साथ ज्यादा सहयोग कर रही है और इसके नतीजे जल्द देखने को मिलेंगे।”

आत्मनिर्भर भारत के लिए निजी कंपनियां होंगी गेमचेंजर

समीर कामत ने कहा कि आने वाले समय में डिफेंस सेक्टर में निजी कंपनियों की भूमिका सरकारी कंपनियों के बराबर हो सकती है। स्टार्टअप्स और MSMEs नई तकनीकों को तेजी से अपनाने में सक्षम हैं, जिससे भारतीय सेना को नई ताकत मिलेगी।

First Published : February 27, 2025 | 7:36 PM IST