उद्योग

दवाओं और मेडिकल डिवाइसेज के मूल्य निर्धारण में सुधार जल्द, केंद्र सरकार ने गठित की 3 सदस्यों की कमेटी

इंडियन फॉर्मास्यूटिकल अलायंस (IPA) के महासचिव और इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IDMA) के सीईओ उद्योग से दो आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल होंगे।

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सोहिनी दास   
Last Updated- March 12, 2024 | 10:13 PM IST

भारत में दवाओं व मेडिकल उपकरणों की कीमत निर्धारण के नियमों में जल्द सुधार देखने को मिल सकता है। केंद्र सरकार ने मूल्य निर्धारण ढांचे में सुधार पर सुझाव देने के लिए समिति का गठन किया है।

उद्योग जगत के सूत्रों ने बताया कि नए औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश (DPCO) पर काम हो रहा है, क्योंकि मौजूदा डीपीसीओ 2013 से लागू है और यह 11 साल पुराना हो चुका है। एक सूत्र ने कहा कि समय-समय पर मूल्य निर्धारण को लेकर नियमों की समीक्षा की जाती है, जिससे उन्हें उद्योग व उपभोक्ता दोनों के लिए प्रासंगिक बनाया जा सके।

मार्च में जारी एक अधिसूचना में औषधि विभाग (DOP) ने कहा है कि अधिकृत प्राधिकारी की मंजूरी के बाद औषधि एवं मेडिकल उपकरणों के मूल्य निर्धारण ढांचे में सुधार के लिए समिति का गठन किया गया है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने अधिसूचना की प्रति देखी है।

समिति में 3 प्रमुख सदस्य DOP सचिव, राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) के अध्यक्ष और DOP के वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार शामिल होंगे। इसमें इंडियन फॉर्मास्यूटिकल अलायंस (IPA) के महासचिव और इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IDMA) के सीईओ उद्योग से दो आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल होंगे। यह समिति 3 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

डीओपी ने अधिसूचना में कहा है कि समिति एनपीपीए के भीतर संस्थागत सुधारों पर विचार करेगी। वह इस बात पर गौर करेगी कि उद्योग की टिकाऊ वृद्धि व निर्यात को प्रोत्साहन देते हुए किस तरह से आवश्यक दवाओं की उपलब्धता और कीमत में संतुलन बनाए रखा जाए। साथ ही समिति उद्योग के सतत विकास और आयात को न्यूनतम करने के लिए उद्योग को प्रोत्साहन प्रदान करते हुए मेडिकल उपकरणों के लिए एक मूल्य सुधार ढांचा तैयार करेगी।

इसके अलावा यह उभरते और सटीक उपचार के लिए कीमत सुधार ढांचा तैयार करने पर भी विचार करेगी। इसके अलावा उपरोक्त मकसद को ध्यान में रखते हुए समिति नई औषधि एवं मेडिकल उपकरण (नियंत्रण) आदेश का मसौदा भी तैयार करेगी।

इसकी पुष्टि करते हुए आईडीएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष विरंची शाह ने कहा, ‘यह एक नियमित कवायद है, जो समय-समय पर की जाती है और एक जिम्मेदार उद्योग के रूप में हम सकारात्मक इनपुट देंगे।’ दवा उद्योग का मानना है कि नए डीपीसीओ पर काम चल रहा है और यह अगले साल लागू हो सकता है।

एक सूत्र ने कहा, ‘डीपीसीओ समय-समय पर अद्यतन किया जाता रहा है और इस समय हम 2013 के डीपीसीओ पर काम कर रहे हैं। अब इसकी समीक्षा का वक्त है। दवा उद्योग ने केंद्र को इस मसले पर कुछ निवेदन किए हैं, जिनका सामना उसे करना पड़ रहा है। इन पर चर्चा हो सकती है।’

उदाहरण के लिए उद्योग का मानना है कि सभी ब्रांडेड जेनेरिक और किसी खास दवा के फॉर्मुलेशन के जेनेरिक दवाओं के अनुसूचित दवाओं की खुदरा औसत कीमत के आधार पर सीलिंग मूल्य का निर्धारण करना और उसमें काल्पनिक रिटेलर मार्जिन जोड़ना बहुत प्रभावी तरीका नहीं है।

एनपीपीए समय-समय पर दवाओं के फॉर्मुलेशन के सीलिंग मूल्य तय करता है। उद्योग का मानना है कि यह बदलाव आगे की तिथि से लागू किया जाना चाहिए, न कि पूर्ववर्ती रूप से, क्योंकि ऐसा करने पर बाजार में जा चुकी दवाओं को वापस मंगाने और उनके नए सिरे से पैकेजिंग व नया मूल्य लिखने और उन्हें फिर से बाजार में भेजने में बड़ी लागत आती है।

एनपीपीए आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनईएलएम) में अनुसूचित दवाओं की कीमत तय करती है और कंपनियां गैर अनुसूचित दवाओं कीमतों में सालाना 10 फीसदी वृद्धि कर सकती हैं।

उद्योग के एक सूत्र ने कहा, ‘इसके अलावा नवाचार को प्रोत्साहन देने और शोध एवं विकास पर खर्च करने की भी जरूरत होती है। कुछ ऐसा तरीका होना चाहिए, जिससे शोध एवं विकास पर उल्लेखनीय रूप से खर्च कर रही कंपनियों को अपने नवोन्मेषी उत्पादों की बेहतर कीमत तय करे की अनुमति हो।’

हालांकि दवा उद्योग यह भी मानता है कि दवा के वैश्विक कारोबार में भारत की सफलता सस्ती कीमत पर निर्भर है और सुधार करते वक्त इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए। उधर मेडिकल उपकरण उद्योग चाहता है कि दवा नियामक से इतर इस क्षेत्र के लिए अलग नियामक होना चाहिए।

मेडिकल उपकरण बनाने वाले संगठनों के संगठन एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैन्युफैक्चरर्स ऑफ मेडिकल डिवाइस के फोरम कोऑर्डिनेटर राजीव नाथ ने कहा कि घरेलू मेडिकल उपकरण उद्योग, दवाओं के नियमन की व्यवस्था से एक अलग नियामक ढांचा और एक अलग मूल्य व्यवस्था चाहता है। उन्होंने कहा कि मूल्य नियंत्रण के बजाय हमने मुनाफे की निगरानी के आधार पर मूल्य के नियमन का प्रस्ताव रखा है।

First Published : March 12, 2024 | 10:13 PM IST