उद्योग

इलेक्ट्रॉनिक पुर्जा PLI से बढ़ेंगे रोजगार, सरकार हर 1 करोड़ रुपये के निवेश पर 2 नौकरियां पैदा करने की बना रही योजना

त्रालय ने स्पष्ट किया है कि इस योजना के लिए सरकार से रकम आवंटन में कोई समस्या नहीं है। मगर भारतीय व विदेशी कंपनियों से निवेश प्रतिबद्धताओं का स्पष्ट तस्वीर होना बेहद जरूरी है।

Published by
सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- August 29, 2024 | 9:57 PM IST

इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों के लिए प्रस्तावित उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत कंपनियों द्वारा किए गए हर 1 करोड़ रुपये के निवेश पर 1.5 से 2 लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार सृजित करने के एक प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। अगर यह योजना सफल रही तो इससे काफी रोजगार सृजित होने का मार्ग प्रशस्त होगा।

मंत्रालय इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों के लिए पीएलआई योजना को रोजगार सृजन से जोड़ने के लिए दो अन्य वैकल्पिक प्रस्तावों पर भी चर्चा कर रहा है। एक प्रस्ताव यह है कि अगर पात्र कंपनियां हर साल अपनी रोजगार प्रतिबद्धता को पूरा करती हैं तो उन्हें अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाए। दूसरे प्रस्ताव के तहत सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम रोजगार सृजन लक्ष्य को पीएलआई योजना के प्रोत्साहन राशि की प्रतिपूर्ति से जोड़ने की बात कही गई है।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हां, पीएलआई योजना के तहत किए गए हर 1 करोड़ रुपये के निवेश पर हम 1.5 से 2 लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार सृजित करने क संभावनाएं तलाश रहे हैं।’ हाल में विभिन्न हिताधारकों के साथ मंत्रालय की हुई बैठक हितधारकों ने इस योजना के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण चिंताओं को उठाया था। उनकी एक चिंता यह थी कि इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में नए रोजगार सृजन की निगरानी सरकार कैसे करेगी।

इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे बनाने वाली एक कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इलेक्ट्रॉनिक्स में आपके पास नियमित आधार पर बड़ी तादाद में ठेका मजदूर होते हैं। अगर कोई मोबाइल फोन ग्राहक कोई नया फोन लॉन्च करने की तैयारी कर रहा होता है तो अतिरिक्त श्रमिकों को काम पर लगाया जाता है। ऐसे अतिरिक्त ठेका मजदूर 3 से 5 महीने तक काम करते हैं और फिर अगले साल काम पर आते हैं। इस पर नजर रखने के लिए सरकार को बड़ी मशीनरी की जरूरत होगी।’

सरकार मोबाइल उपकरणों के लिए पीएलआई योजना के तहत अनुबंध आधारित श्रमिकों की निगरानी करती है। मगर पात्र कंपनियों द्वारा रोजगार के लिए की गई प्रतिबद्धता को प्रोत्साहन की प्रतिपूर्ति के लिए अनिवार्य नहीं बनाया गया था। यह इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों के लिए प्रस्तावित पीएलआई योजना से अलग है। दूसरा, कुछ लोगों का कहना है कि अगर प्रोत्साहन की पात्रता को सीधे तौर पर रोजगार लक्ष्य को पूरा करने से जोड़ दिया जाए तो उत्पादन पर उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

हितधारकों का कहना है कि यह योजना पांच साल के लिए होगी और इसमें इस बात पर विचार नहीं किया गया है कि नौकरियों की संख्या में बदलाव हो सकता है। नई प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ ही ये आंकड़े भी कम हो सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल आम बात है। उन्होंने कहा कि नई प्रौद्योगिकी अथवा स्वचालन को अपनाए बिना कंपनियां बाजार में प्रतिस्पर्धी नहीं हो सकती हैं। इसलिए अतिरिक्त प्रोत्साहन योजना का प्रस्ताव अधिक तर्कसंगत एवं प्रभावी लगता है।

प्रस्तावित योजना के लिए 35,000 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने की उम्मीद है और इसके दायरे में तमाम तरह के इलेक्ट्रॉनिक्स पुर्जे होंगे। मगर कैमरा मॉड्यूल, डिस्प्ले असेंबली, मैकेनिकल पुर्जे, बैटरी पैक एवं वाइब्रेटर आदि के साथ-साथ प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी) जैसे प्रमुख घटकों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

इस योजना का उद्देश्य मोबाइल फोन, लैपटॉप, पीसी एवं सर्वर आदि तैयार इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के लिए मूल्यवर्धन करना है। फिलहाल भारत में विनिर्मित मोबाइल फोन में मूल्यवर्धन महज 20 फीसदी है और इसके पुर्जों के लिए चीन पर निर्भरता काफी अधिक है। ऐसे में स्थानीय स्तर पर तैयार उत्पादन के बावजूद इलेक्ट्रॉनिक्स पुर्जों के लिए आयात बिल लगातार बढ़ रहा है।

निवेश आकलन में भी व्यापक अंतर दिख रहा है। कुछ हितधारकों ने सरकार के साथ चर्चा के दौरान 40,000 करोड़ रुपये तो कुछ ने 80,000 करोड़ रुपये का अनुमान जाहिर किया है। मगर एक हितधारक ने कहा कि वैश्विक एवं भारतीय कंपनियों से प्राप्त जानकारियों के आधार पर 15,000 से 18,000 करोड़ रुपये पर्याप्त हो सकते हैं।

मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इस योजना के लिए सरकार से रकम आवंटन में कोई समस्या नहीं है। मगर भारतीय एवं विदेशी कंपनियों से निवेश प्रतिबद्धताओं का स्पष्ट तस्वीर होना बेहद जरूरी है।

First Published : August 29, 2024 | 9:57 PM IST