नई दिल्ली में आयोजित BS मंथन समिट 2025 में आर्थिक विशेषज्ञों ने भारत की विकास दर, नीतियों, उद्योगों की भूमिका और निवेश के अवसरों पर चर्चा की। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था को और तेज गति से आगे बढ़ाने की क्षमता है, लेकिन इसके लिए सही नीतिगत और आर्थिक कदम उठाने की जरूरत होगी। आइए, जानते हैं इस समिट में क्या खास रहा।
भारत की ग्रोथ को मिलेगी और रफ्तार
क्रिसिल के चीफ इकनॉमिस्ट DK जोशी का मानना है कि अगर सही नीतियों और आर्थिक सुधारों का इस्तेमाल किया जाए, तो भारत और भी तेज़ ग्रोथ कर सकता है। उन्होंने कहा, “हमारी अर्थव्यवस्था अब ग्लोबल ट्रेंड्स के साथ तालमेल बिठा रही है। जहां विकसित देशों की ग्रोथ धीमी हो रही है, वहीं भारत लगातार आगे बढ़ रहा है।”
कंपनियों के पास पैसा, फिर भी क्यों नहीं कर रहीं निवेश?
जोशी ने एक और दिलचस्प बात कही – आज कॉरपोरेट सेक्टर के पास पिछले 10 सालों में सबसे ज्यादा फाइनेंशियल फ्लेक्सिबिलिटी है, लेकिन फिर भी वो निवेश से बच रहे हैं। सरकार ने डिरेगुलेशन और डिक्रिमिनलाइजेशन को बढ़ावा दिया है ताकि कंपनियां खुलकर निवेश करें, लेकिन अभी वे सतर्क हैं।
इंडस्ट्री से नहीं मिल रहे सही संकेत – लवीश भंडारी
CSEP के अध्यक्ष लवीश भंडारी का कहना है कि भले ही सरकार और इकोनॉमी स्थिर हैं, लेकिन इंडस्ट्रियल सेक्टर से सही संकेत नहीं मिल रहे हैं। उनका सुझाव है कि टेक्नोलॉजी और इंफ्रास्ट्रक्चर में और ज्यादा इन्वेस्टमेंट किया जाना चाहिए।
2047 का सपना अधूरा रह जाएगा अगर स्कूलों की हालत नहीं सुधरी
भंडारी ने एक कड़वी सच्चाई पर भी रोशनी डाली – अगर भारत की प्राथमिक शिक्षा (Primary Education) में सुधार नहीं हुआ, तो 2047 तक विकसित देश बनने का सपना अधूरा रह जाएगा। उन्होंने कहा, “जो बच्चे 2047 में देश की अर्थव्यवस्था संभालेंगे, वो आज स्कूल में हैं, और उनमें से बहुत से बच्चे पढ़ ही नहीं सकते। अगर हमने अभी कुछ नहीं किया, तो 2047 का सपना सिर्फ सपना ही रह जाएगा।”
म्यूचुअल फंड्स में बंपर ग्रोथ
Nippon Mutual Fund के CEO संदीप सिक्का ने बताया कि भारत में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा, “10 साल पहले सिर्फ 0.8% घरेलू बचत म्यूचुअल फंड में आती थी, लेकिन अब ये 6% तक पहुंच गई है। पिछले साल अकेले म्यूचुअल फंड सेक्टर की वजह से 300 IPOs आए।”