उच्चतम न्यायालय द्वारा राज्यों को खनिज अधिकारों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का अधिकार दिए जाने के बाद कुछ राज्यों द्वारा नए खनन उपकर लगाए जाने से घरेलू इस्पात उद्योग के सामने चुनौती पैदा हो सकती है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने यह अनुमान जताया है।
इक्रा ने कहा कि इस घटनाक्रम से पूरे क्षेत्र में परिचालन मार्जिन में कमी आएगी, जिससे प्राथमिक और द्वितीयक दोनों इस्पात उत्पादकों पर असर पड़ेगा।
इक्रा ने कहा कि विभिन्न परिदृश्य में उपकर की दरें पांच से 15 प्रतिशत के बीच हो सकती हैं, जिससे प्राथमिक इस्पात उत्पादकों का मुनाफा 0.6 से 1.8 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
द्वितीयक उत्पादकों को अधिक गंभीर प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है और उनके मुनाफे में 0.5 से -2.5 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। बिजली क्षेत्र में आपूर्ति की लागत में 0.6 से 1.5 प्रतिशत का इजाफा नजर आ सकता है।