भगवान गणेश के स्वागत में मुंबई सहित पूरा महाराष्ट्र भक्ति में डूब गया है। हर जगह खूबसूरत पंडालों और घरों की सजावट देखते ही बन रही है। बप्पा के स्वागत की तैयारी के लिए अंतिम समय तक लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं जिसके वजह से छोटे बड़े सभी बाजारों और दुकानों में भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। 10 दिन तक चलने वाले गणेशोत्सव के दौरान इस साल महाराष्ट्र में 11000 करोड़ रुपए से अधिक का व्यापार होने की उम्मीद है। जबकि इस त्यौहार के दौरान 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने की उम्मीद है।
सात सितंबर से शुरू होकर 10 दिन तक चलने वाले गणेशोत्सव की धूम मुंबई और आसपास के इलाकों में सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है। खरीदारों की भीड़ के कारण बाजार और शहर की लगभग सभी सड़कों पर भारी भीड़ है।
गणेश भक्तों के उत्साह को देखते हुए कारोबारी संस्था कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने अनुमान लगाया है कि इस त्यौहार के दौरान 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने की उम्मीद है। गणेश चतुर्थी विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और गोवा में महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा देती है, जो देश में सनातन अर्थव्यवस्था के महत्व और योगदान को स्थापित करती है।
इन राज्यों में स्थानीय व्यापारियों द्वारा किए गए सर्वेक्षण के बाद यह जानकारी मिली है कि त्यौहार के लिए अनुमानित 20 लाख से अधिक गणेश पंडाल लगाए गए हैं। अकेले महाराष्ट्र में 7 लाख से अधिक पंडाल लगाए गए हैं, इसके बाद कर्नाटक में 5 लाख, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में 2 लाख प्रत्येक और शेष 2 लाख पूरे देश में हैं। यदि प्रत्येक पंडाल पर न्यूनतम 50,000 रुपये का खर्च भी माना जाए, जिसमें सेटअप, सजावट, ध्वनि प्रणाली, गणेश प्रतिमा, फूल आदि शामिल हैं, तो यह आंकड़ा अकेले 10,000 करोड़ रुपये से अधिक हो जाता है।
कैट महाराष्ट्र के वरिष्ठ अध्यक्ष महेश बखाई ने कहा कि पंडालों पर खर्च की गई राशि के अलावा, त्योहार के इर्द-गिर्द बना व्यापारिक पारिस्थितिकी तंत्र कई उद्योगों और स्थानीय व्यवसायों को भी शामिल करता है। केवल गणेश प्रतिमाओं का व्यापार 500 करोड़ से अधिक का होता है। फूल, माला, फल, नारियल, धूप और अन्य पूजन सामग्री की बड़े पैमाने पर बिक्री होती है, जिसकी कुल राशि भी 500 करोड़ के करीब होती है।
मुख्य रूप से मोदक, जो भगवान गणेश से जुड़े मीठे पकवान हैं, की मांग में वृद्धि होती है। मिठाई की दुकानों और घरेलू व्यवसायों की बिक्री में 2000 करोड़ रुपये से अधिक की वृद्धि देखी जाती है। इसके अलावा, परिवारों द्वारा बड़े समारोहों और भोजन के आयोजन के कारण कैटरिंग और स्नैक व्यवसायों में लगभग 3000 करोड़ रुपये का व्यापार होता है।
गणेशोत्सव देखने के लिए देश विदेश से लोग यहां आते हैं जिससे पर्यटन और परिवहन व्यवसाय को भी बड़ा बढ़ावा मिलता है क्योंकि गणेश चतुर्थी के दौरान विभिन्न क्षेत्रों से भक्त आकर्षित होते हैं, जिससे स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा मिलता है। यात्रा कंपनियों, होटलों और परिवहन सेवाओं (जैसे बस, टैक्सी, ट्रेन) की मांग में वृद्धि देखी जाती है, जिसका कारोबार 2000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। रिटेल और मर्चेंडाइज की बात करें तो त्योहार से संबंधित वस्त्र, आभूषण, घर की सजावट और उपहार वस्तुओं की बिक्री भी 3000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।
पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं के प्रति बढ़ती जागरूकता के साथ, कचरा प्रबंधन व्यवसायों की मांग में वृद्धि देखी जाती है, जैसे कृत्रिम टैंकों में मूर्ति विसर्जन और सजावटी सामग्रियों का पुनर्चक्रण। बड़े पैमाने पर सार्वजनिक आयोजनों के आयोजन से इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों को भी व्यापार में बढ़ावा मिलता है। वे लॉजिस्टिक्स, सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन और स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय जैसे कार्यों को संभालते हैं, यह क्षेत्र लगभग 5000 करोड़ रुपये का योगदान कर सकता है।
कैट के राष्ट्रीय मंत्री अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा गणपति जी का यह त्यौहार महाराष्ट्र में सबसे बड़े त्योहार में माना जाता है। महाराष्ट्र में सार्वजनिक एवं अधिकतर घरों में गणपति का आगमन होता है। इसके माध्यम से लोग दिल खोलकर खर्च करते हैं अनुमान है कि इस वर्ष महाराष्ट्र में 11000 करोड रुपए से अधिक का व्यापार होने की उम्मीद है।
रक्षाबंधन से शुरू हुआ त्योहारों का यह सीजन, जो गणेश चतुर्थी, नवरात्र, दशहरा, करवा चौथ, दिवाली, छठ पूजा और इसके बाद के विवाह सीजन तक जारी रहेगा,भारतीय अर्थव्यवस्था को एक तेज गति वाली यात्रा पर ले जाएगा, जिसमें सनातन अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण योगदान होगा। भारतीय व्यापारियों ने इस साल भी चीनी उत्पादों के बहिष्कार की अपील की है।