वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि भारत में डेरी एक संवेदनशील क्षेत्र है, क्योंकि इसमें छोटे किसानों की आजीविका के मुद्दे शामिल हैं और इस क्षेत्र में किसी भी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत शुल्क रियायत देने की कोई योजना नहीं है।
उन्होंने कहा कि भारत ने ईएफटीए (यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ) व्यापार समझौते के तहत स्विट्जरलैंड और नॉर्वे को भी डेयरी क्षेत्र में कोई शुल्क रियायत नहीं दी है, जिस पर मार्च में हस्ताक्षर किए गए थे। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के साथ भी इस क्षेत्र पर चर्चा हुई, लेकिन भारत ने इस क्षेत्र से जुड़ी संवेदनशील चीजों से उन्हें स्पष्ट रूप से अवगत करा दिया।
गोयल ने ऑस्ट्रेलियाई व्यापार मंत्री डॉन फैरेल के साथ एडिलेड में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में संवाददाताओं से कहा, ‘हमारे किसानों के पास औसतन बहुत कम जमीन है। यह 2-3 एकड़ का खेत है जिसमें 3-4 पशुधन हैं, जबकि ऑस्ट्रेलिया के खेत और डेयरी फार्म दोनों ही बहुत बड़े हैं और इन बड़े और छोटे फार्मों के लिए एक दूसरे के साथ समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करना लगभग असंभव होगा।’
उन्होंने कहा, ‘हमने इस मुद्दे पर तीन साल पहले और पूर्व के अवसरों पर भी चर्चा की थी, और डेयरी एक ऐसा संवेदनशील क्षेत्र है कि दुनियाभर में हमारे किसी भी एफटीए में हम शुल्क रियायतों के साथ इस क्षेत्र को खोलने में सक्षम नहीं हैं।’
मंत्री व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए द्विपक्षीय वार्ता के लिए ऑस्ट्रेलिया में हैं। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र व्यापार के लिए खुला है, लेकिन इस पर कुछ सीमा शुल्क लगाए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘हमने न तो यूरोप के लिए डेरी को खोला है और न ही खोलने की योजना बना रहे हैं, न ही हमने इसे स्विट्जरलैंड और नॉर्वे के लिए खोला है, जिनके साथ हमने हाल ही में ईएफटीए व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।’
उन्होंने कहा, ‘यह वह समझौता है जिस पर स्विट्जरलैंड ने बगैर डेरी क्षेत्र के हस्ताक्षर किए हैं।’