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IPCA Labs ने डायबिटीज रोगियों के लिए नया मरहम ‘Diulcus’ लॉन्च किया, 100 करोड़ का बाजार लक्ष्य

भारत साल 2030 तक दुनिया की मधुमेह राजधानी बनने की कगार पर है। देश को मधुमेह के मामलों में खतरनाक ढंग से इजाफे का सामना करना पड़ा रहा है।

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अंजलि सिंह   
Last Updated- August 16, 2024 | 11:42 PM IST

इप्का लैबोरेटरीज ने टॉपिकल उपचार – डाईअल्कस पेश किया है। इसे डायबिटिज रोगियों के पैरों में होने वाले फोड़ों के इलाज के लिए तैयार किया गया है। इस नई दवा के साथ कंपनी अगले तीन वर्षों के भीतर 100 करोड़ रुपये के बाजार को लक्ष्य बना रही है।

क्लीनिकल परीक्षणों में इस दवा में फोड़े खत्म होने की 77.20 प्रतिशत दर देखी गई है, जो एक ऐसी हालत के मामले में उम्मीद दिलाती है जिससे आम तौर पर निचले अंग के विच्छेदन जैसे गंभीर परिणाम भी झेलने पड़ जाते हैं।

नोवालीड फार्मा द्वारा विकसित इस मरहम की 15 ग्राम वाली ट्यूब के दाम 1,365 रुपये हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि उपचार की पूरी अव​धि के लिए छह से सात ट्यूबों की जरूरत पड़ेगी और यह 12 से 24 सप्ताह के बीच चल सकता है। लागत का 20 प्रतिशत हिस्सा सरकार की सब्सिडी का रहता है, जिससे यह जरूरतमंद रोगियों के लिए और ज्यादा सुलभ हो जाती है।

डाईअल्कस को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से मंजूरी मिल चुकी है और इसे आं​शिक तौर पर जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) से से वित्तीय सहायता मिली थी।

भारत साल 2030 तक दुनिया की मधुमेह राजधानी बनने की कगार पर है। देश को मधुमेह के मामलों में खतरनाक ढंग से इजाफे का सामना करना पड़ा रहा है।

वर्तमान में इससे पीड़ित 10 करोड़ व्यक्तियों का पता लगाया गया है तथा अन्य 13.6 करोड़ लोग प्री-डायबिटीज से प्रभावित हैं। इसकी प्रचलित जटिलता डायबिटिज रोगियों के पैरों में होने वाले फोड़ों के रूप में भी सामने आती है। मधुमेह के करीब 15 प्रतिशत मरीज इससे प्रभावित होते हैं।

First Published : August 16, 2024 | 10:51 PM IST