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भारत को मोबाइल निर्यात का केंद्र बनाने को तैयार कंपनियां

Last Updated- December 14, 2022 | 11:01 PM IST

ऐपल इंक तथा सैमसंग जैसी वैश्विक दिग्गज और लावा जैसी देसी कंपनियों ने भारत को मोबाइल उपकरणों के निर्यात का प्रमुख अड्डा बनाने की तैयारी कर ली है। इस तरह भारत इस बाजार के सबसे ताकतवर खिलाडिय़ों वियतनाम तथा चीन से टक्कर लेगा। फिलहाल दुनिया के 85 फीसदी मोबाइल निर्यात बाजार पर इन्हीं दो देशों का कब्जा है। इस तरह सरकार को इस योजना के तहत पात्र वैश्विक कंपनियों से जितने मोबाइल उपकरण बनने की उम्मीद है, उनकी कुल कीमत में 26 फीसदी हिस्सेदारी सैमसंग की ही होगी।
सरकार ने पीएलआई योजना के तहत पांच साल में करीब 12.5 लाख करोड़ रुपये के फोन बनाने का वादा करने वाली पांच वैश्विक और पांच देसी कंपनियों को कल ही मंजूरी दी है। इन कंपनियों ने यह वादा भी किया है कि इस कीमत में 60 फीसदी हिस्सेदारी निर्यात की होगी। अगर कंपनियां निवेश और हर साल फोन विनिर्माण कीमत के लक्ष्य पूरे करती हैं तो उन्हें तैयार उपकरणों की कीमत पर 4 से 6 फीसदी प्रोत्साहन हासिल होगा। योजना का मकसद भारत और चीन तथा वियतनाम के बीच विनिर्माण लागत का अंतर कम करना है।
दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग ने पहले घोषणा की थी कि वह भारत में अपने उत्पादन का 30 फीसदी हिस्सा निर्यात करेगी। वित्त वर्ष 2019 में कंपनी ने 43,000 करोड़ रुपये से अधिक के फोन बनाए थे। मगर सूत्रों के मुताबिक पीएलआई योजना के तहत निर्यात की सरकार की उम्मीदों को देखकर कंपनी अगले पांच साल में आंकड़ा बढ़ाकर 1.32 लाख करोड़ रुपये सालाना कर लेगी यानी हर साल करीब 26,000 करोड़ रुपये के मोबाइल उपकरण निर्यात किए जाएंगे। सैमसंग इंडिया ने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
ऐपल इंक के लिए उपकरण बनाने वाली तीन कंपनियां – फॉक्सकॉन होल हाई, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन 3,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेेश करेंगी। सूत्रों के मुताबिक फिलहाल श्याओमी के लिए उपकरण बना रही राइजिंग स्टार के साथ मिलकर इन कंपनियों ने अगले पांच साल में 15,000 रुपये से अधिक कीमत के 6.80 लाख करोड़ रुपये के मोबाइल उपकरण बनाने का वादा किया है।
विश्लेषकों के अनुमानों के मुताबिक उत्पादन कीमत में बड़ा हिस्सा ऐपल इंक का होगा, जो अगले पांच साल में 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक होगा। इसकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वित्त वर्ष 2019 में ऐपल इंक का राजस्व 10,538 करोड़ रुपये था। ऐपल इंडिया के प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
लेकिन इसमें से निर्यात कितना होगा। सूत्रों ने कहा कि सैमसंग की भारतीय बाजार में ज्यादा बिक्री है मगर निर्यात में ऐपल की हिस्सेदारी उत्पादन मूल्य के 60 फीसदी से भी ज्यादा हो सकती है। शोध एजेंसी टेक आर्क के फैजल कावासू ने कहा, ‘ऐपल भारत में 12-14 लाख फोन ही बेच रही है। अगर वे आंकड़ा दोगुना कर दें और सस्ते फोन ले आएं तो भी बिक्री का आंकड़ा ज्यादा से ज्यादा दोगुना होगा। इसलिए मुझे नहीं लगता कि वे अपने उत्पादन का 40 फीसदी हिस्सा भी भारतीय बाजार में बेच पाएंगे। इसलिए कुल कीमत में से 80 से 90 फीसदी निर्यात  ही होगा।’
सूत्रों के मुताबिक देसी कंपनी लावा ने पहले साल 1,100 करोड़ रुपये के निर्यात की प्रतिबद्धता जताई है, जो उसकी कुल उत्पादन कीमत का करीब 41 फीसदी होगा। लेकिन कंपनी इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर पांचवें साल में 7,000 करोड़ रुपये तक ले जाएगी, जिसका उसके कुल उत्पादन मूल्य में 60 फीसदी  हिस्सा होगा।

First Published - October 7, 2020 | 10:46 PM IST

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