ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) का प्रायोगिक परीक्षण शुरू होने के बाद के दो सप्ताह से अधिक समय में फ्लिपकार्ट समर्थित लॉजिस्टिक प्रदाता ईकार्ट, स्थानीय त्वरित वाणिज्य कंपनी डंजो, डिजिटल भुगतान कंपनी फोनपे समेत करीब दो दर्जन कंपनियां नेटवर्क से जुडऩे की प्रक्रिया में हैं। इस बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने यह जानकारी दी है।
उन्होंने कहा कि खुदरा और खाद्य डिलिवरी क्षेत्र में तत्काल (रियल टाइम) लेनदेन कुछ शहरों में शुरू भी हो चुके हैं। उदाहरण के लिए शिलॉन्ग में एक रेस्टोरेंट से डिलिवरी हो रही है। इसी तरह दिल्ली में एक खुदरा स्टोर से डिलिवरी हो रही है।
प्रधानमंत्री के महत्त्वाकांक्षी ओएनडीसी ढांचे का छोटे पैमाने पर क्रियान्वयन 29 अप्रैल को दिल्ली, भोपाल, बेंगलूरु, कोयंबत्तूर और शिलॉन्ग में हुआ था।
इस मुहिम का मकसद आधिकारिक शुरुआत से पहले प्रक्रियाओं को ज्यादा मजबूत बनाना है। इस समय पांच विक्रेता प्लेटफॉर्म, एक खरीदार प्लेटफॉर्म और एक लॉजिस्टिक साझेदार प्रायोगिक परीक्षण का हिस्सा हैं। इन लोगों में से एक ने कहा, ‘इस समय हम खुदरा विक्रेताओं और रेस्तरां पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।’
एक अधिकारी ने कहा, ‘अभी ओएनडीसी की शुरुआत ही हुई है। यह पूरी मुहिम करीब छह महीने में ही स्थिर हो पाएगी।’ उदाहरण के लिए भोपाल और कोयंबत्तूर में कारोबारी सूचियां बनाई जा रही हैं। ये अपलोड होने के बाद लेनदेन शुरू होंगे। इसी तरह ये दो दर्जन कंपनियां जुडऩे के विभिन्न चरणों में हैं और अपने सूचना प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म विकसित कर रही हैं। इस जुड़ाव में कम से कम दो से तीन महीने लग सकते हैं।
सरकारी अधिकारियों का मानना है कि ज्यादातर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ओएनडीसी द्वारा मुहैया कराए जाने वाले कारोबारी मौकों को मद्देनजर रखते हुए नेटवर्क को अपनाएंगे। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के अतिरिक्त सचिव अनिल अग्रवाल ने कहा, ‘हमारा मानना है कि ज्यादातर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ओएनडीसी से जुड़ेंगे क्योंकि उन्हें इसमें कारोबारी मौके और भरोसा नजर आएगा। इसके अलावा खरीदारों और विक्रेताओं के लिहाज से उनके उपयोगकर्ताओं की संख्या में भी इजाफा होगा।’
हालांकि ओएनडीसी निजी क्षेत्र की अगुआई वाला गैर-लाभकारी संगठन है, लेकिन सरकार की तरफ से इसकी अगुआई डीपीआईआईटी कर रहा है। ओएनडीसी ओपन नेटवर्क के सिद्धांत पर कार्य करेगा, जिसमें किसी खरीदार और विक्रेता को एक-दूसरे का साथ लेनदेन करने के लिए एक प्लेटफॉर्म पर होना जरूरी नहीं है। इसके बजाय नेटवर्क उन्हें डिजिटल रूप से दिखने और लेनदेन में सक्षम बनाएगा, भले ही वे कोई भी प्लेटफॉर्म या एप्लीकेशन इस्तेमाल करते हैं। उम्मीद है कि इससे एक अवधि के बाद लघु उद्यमों और उपभोक्ताओं का तेजी से डिजिटलीकरण होगा।