भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को देश के 42 वें संचार उपग्रह, सीएमएस-01 को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया। यह उपग्रह भारत के संचार नेटवर्क को मजबूत करेगा।
अपराह्न 3.41 बजे इसरो के रॉकेट पीएसएलवी-सी50 ने चेन्नई के पास श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक उड़ान भरी। इसके 20 मिनट बाद उपग्रह को कक्षा में स्थापित कर दिया गया। उपग्रह विस्तारित सी-बैंड स्पेक्ट्रम के लिए सेवाएं प्रदान करेगा। इसरो के अध्यक्ष के. शिवन ने कहा, चार दिन में उपग्रह को उसके इच्छित भू-समकालिक कक्षा में ले जाया जाएगा। उपग्रह का सौर पैनल कार्य करने लगा है।
44-मीटर ऊंचे चार-चरणीय इंजन, पीएसएलवी-सी50 की ‘एक्सएल’ कॉन्फिगरेशन में यह 22वीं उड़ान है। यह भारत के पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) के लिए 52 वां मिशन था। सीएमएस-01 एक संचार उपग्रह है जिसे फ्रीक्वेंंसी स्पेक्ट्रम के विस्तारित-सी बैंड में सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें भारत-मुख्य भूमि, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूह शामिल होंगे। यह भारत का 42वां संचार उपग्रह है और इसका मिशन काल सात साल का होगा।
सीएमएस-01 जीसैट-12 का स्थान लेगा, जिसका वजन 1,410 किलोग्राम था और इसे 11 जुलाई, 2011 को आठ साल के जीवनकाल के साथ प्रक्षेपित किया गया था।
शिवन ने कहा, अगला मिशन, पीएसएलवी-सी51 इसरो एवं पूरे देश के लिए विशेष है। भारत की ओर से शुरू किए गए अंतरिक्ष सुधार कार्यक्रम के तहत पहले उपग्रह को ‘आनंद’ नाम से प्रक्षेपित किया जाएगा। यह भारत में अंतरिक्ष गतिविधि में निजी कंपनियों की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए शुरू किए गए कार्यक्रम के तहत जाने वाला पहला उपग्रह होगा।
शिवन ने कहा कि रॉकेट भारत द्वारा प्रक्षेपित पहला पृथ्वी अवलोकन उपग्रह होगा, जिसे पिक्सल कहा जाएगा। यह रॉकेट स्पेसकेज टीम के छात्रों द्वारा निर्मित संचार उपग्रहों और तीन भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ द्वारा निर्मित एक अन्य उपग्रह भी ले जाएगा।