भारत सैमसंग, श्याओमी और ऐपल की पसंद की चिंता किए बिना तकनीक दिग्गजों को महीने भर के अंदर घरेलू नेविगेशन सिस्टम के अनुरूप स्मार्टफोन बनाने के लिए कह सकता है। उद्योग से जुड़े दो सूत्रों और रॉयटर्स द्वारा देखे गए सरकारी दस्तावेजों के हवाले से यह जानकारी दी गई। हार्डवेयर परिवर्तन की आवश्यकता के कारण उच्च लागत और व्यवधानों से तकनीक दिग्गज डर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपने क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (नाविक) के उपयोग का विस्तार किया है।
भारत सरकार व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) सहित विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता कम करना चाहती है। सरकार का कहना है कि ‘नाविक’ अधिक सटीक घरेलू नेविगेशन प्रदान करता है और इसके उपयोग से अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
जीपीएस को टक्कर देने के लिए चीन, यूरोपीय संघ, जापान और रूस के पास अपने वैश्विक या क्षेत्रीय नेविगेशन सिस्टम हैं। 2018 से परिचालन शुरू होने के बाद से नाविक का बहुत कम उपयोग हुआ है। उदाहरण के लिए सार्वजनिक वाहनों को ट्रैक करने के लिए इसे वाहनों में लगाना अनिवार्य है।
लेकिन सरकारी और उद्योग के दस्तावेजों से पता चलता हैं कि मोदी सरकार और अंतरिक्ष अधिकारी इसके उपयोग को व्यापक बनाना चाहते हैं। इस साल स्मार्टफोन दिग्गजों को जीपीएस के अलावा नाविक सिस्टम को सपोर्ट करने के लिए हार्डवेयर में बदलाव करने के लिए प्रेरित किया है ताकि जनवरी 2023 से बिकने वाले नए स्मार्टफोन में जीपीएस के साथ नाविक सिस्टम भी हो।
अगस्त और सितंबर में निजी बैठकों में ऐपल, सैमसंग और श्याओमी समेत अन्य कंपनियों के प्रतिनिधियों ने इस चिंता का हवाला देते हुए योजना को पीछे धकेल दिया कि फोन को नाविक के अनुरूप बनाने का मतलब उच्च अनुसंधान और उत्पादन लागत होगा। स्मार्टफोन उद्योग के दो स्रोतों और दस्तावेजों के अनुसार परिवर्तनों के लिए अधिक परीक्षण मंजूरी की भी आवश्यकता होगी। 1 जनवरी की समय सीमा व्यवसायों और नियोजित लॉन्च को बाधित करेगी।
सैमसंग ने बैठक के संबंध में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। जबकि ऐपल और श्याओमी ने टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया। इस परियोजना में शामिल आईटी मंत्रालय और अंतरिक्ष एजेंसी इसरो दोनों ने ही इस मुद्दे पर कोई जवाब नहीं दिया।
सैमसंग ने विशेष रूप से आईटी मंत्रालय और अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों के साथ शीर्ष स्मार्टफोन कंपनियों और चिप निर्माताओं के बीच 2 सितंबर को बंद दरवाजे की बैठक के दौरान चिंता व्यक्त की थी।