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1 मार्च से स्पेक्ट्रम की नीलामी

Last Updated- December 10, 2022 | 2:13 AM IST

करीब चार साल के अंतराल के बाद सरकार 1 मार्च से स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू करेगी। इस नीलामी में 2,251.25 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम की पेशकश की जाएगी, जिससे सरकार को करीब 3.92 लाख करोड़ रुपये मिल सकते हैं। इसमें 700 मेगाहट्र्ज, 800 मेगाहट्र्ज, 900 मेगाहट्र्ज, 1,800 मेगाहट्र्ज, 2,100 मेगाहट्र्ज, 2,300 मेगाहट्र्ज और 2,500 मेगाहट्र्ज बैंड के स्पेक्ट्रम की नीलामी जाएगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 16 दिसंबर को स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया को मंजूरी दे दी थी। दूरसंचार विभाग ने बोली-पूर्व कॉन्फ्रेंस के लिए 12 जनवरी का समय तय किया है। इस नोटिस को लेकर 28 जनवरी तक स्पष्टीकरण मांगा जा सकता है। नीलामी में भाग लेने के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को 5 फरवरी तक आवेदन दायर करना होगा। दूसरंचार ऑपरेटर 4जी स्पेक्ट्रम नीलामी पर जोर दे रहा था क्योंकि कई ऑपरेटरों के स्पेक्ट्रम का लाइसेंस 2021 में खत्म हो रहे हैं। डिजिटल संचार आयोग ने पिछले साल मई में स्पेक्ट्रम नीलामी को हरी झंडी दे दी थी। भारती एयरटेल, रिलायंस जियो और वोडाफोन आइडिया इस नीलामी में हिस्सा ले सकती हैं। उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि भारती एयरटेल कम गीगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम पर जोर दे सकती है क्योंकि वह इंडोर कवरेज मजबूत करना चाहेगी।
रिलायंस जियो अपने स्पेक्ट्रम के दायरे को बढ़ाने के इस लिए मौके को गंवाना नहीं चाहेगी, वहीं वोडाफोन आइडिया उसी बैंड में स्पेक्ट्रम लेगी जिनके लाइसेंस की अवधि खत्म होने वाली है।   
नीलामी में शामिल स्पेक्ट्रम बैंड की लाइसेंस की वैधता स्पेक्ट्रम प्राप्त होने या अग्रिम भुगतान मिलने के महीने के अंतिम दिन से 20 साल तक होगी। एकीकृत लाइसेंस प्राप्त करने की शर्तों को पूरा करने वाली लाइसेंसी नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा लेने की पात्र होगी। एकीकृत लाइसेंस हासिल करने के लिए हलफनामा देने वाली कंपनी भी दूरसंचार विभाग के दिशानिर्देशों के तहत 700, 800, 900, 1,800, 2,100, 2,300 और 2,500 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगा सकती है। हालांकि एकीकृत लाइसेंस केवल भारतीय कंपनियों को ही दिया जागएा और विदेशी आवेदक को भारत में कंपनी गठित करनी होगी या किसी भारतीय कंपनी का अधिग्रहण करना होगा। स्पेक्ट्रम नीलामी आयोजित करने के लिए एमएसटीसी को चुना गया है। इसके पास कोयला नीलामी करने का व्यापक अनुभव है।
2016 में 700 मेगाहट्र्ज का स्पेक्ट्रम बिक नहीं पाया था लेकिन अब इसका आरक्षित मूल्य 40 फीसदी घटाकर 6,568 करोड़ रुपये प्रति मेगाहट्र्ज कर दिया गया है। 2016 में यह 11,485 करोड़ रुपये था। दूरसंचार नियामक ट्राई ने 800 मेगाहट्र्ज (19 सर्किलों में)के लिए 4,651 करोड़ रुपये, 900 मेगाहट्र्ज (7 सर्किलों में) के लिए 1,622 करोड़ रुपये, 2,100 मेगाहट्र्ज (21 सर्किलों में) के लिए 3,399 करोड़ रुपये और 2,500 मेगाहट्र्ज (12 सर्किलों में) के लिए 821 करोड़ रुपये आधार मूल्य रखने की सिफारिश की है। 2,300 मेगाहट्र्ज के लिए 960 करोड़ रुपये आरक्षित मूल्य है।

First Published - January 6, 2021 | 11:27 PM IST

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