सुप्रीम कोर्ट ने ठप पड़ी विमान कंपनी जेट एयरवेज (Jet Airways) के परिसमापन (liquidation) करने का आदेश दिया। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है।
इसके साथ ही जेट एयरवेज के लिए सफल बोलीदाता जालान कलरॉक गठजोड़ द्वारा डाले गए 200 करोड़ रुपये जब्त करने तथा भारतीय स्टेट बैंक की अगुआई वाले ऋणदाताओं को 150 करोड़ रुपये की प्रदर्शन बैंक गारंटी भुनाने की अनुमति दे दी।
संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के पीठ ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील पंचाट (NCLAT) के आदेश को खारिज करते हुए जेट एयरवेज की दिवालिया कार्यवाही पर रोक लगा दी।
पीठ ने मामले को ‘आंखें खोलने वाला’ करार दिया और जालान कलरॉक गठजोड़ (जेकेसी) द्वारा पहली किस्त के भुगतान के मद्देनजर प्रदर्शन बैंक गारंटी का उपयोग करने की अनुमति देने के लिए एनसीएलएटी की खिंचाई की। एनसीएलएटी ने जेकेसी को अपने भुगतान दायित्वों का पूर्णतः पालन किए बिना ही जेट एयरवेज का अधिग्रहण करने की अनुमति दे दी थी।