कच्चे तेल और ईंधन की कीमतों में लगी आग से विमानन कंपनियों को नुकसान पहुंचना तय माना जा रहा है।
घरेलू विमानन कंपनी जेट एयरवेज को ईंधन कीमतों में बढ़ोतरी के कारण अगले दो वर्ष तक भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। मुंबई में सिटीगु्रप इंक. के विश्लेषक जमशेद दादाभोय के मुताबिक जेट एयरवेज और इसकी सस्ती विमानन इकाई को अगले दो वर्षों में कुल मिलाकर 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
विश्लेषक ने इससे पहले एक भविष्यवाणी में कहा था कि चालू वर्ष में कंपनी को नुकसान उठाना पड़ेगा और अगले वर्ष यह लाभ की स्थिति में आ जाएगी। इस भविष्यवाणी के अनुरूप ही इस साल तो जेट एयरवेज को तगड़ा घाटा उठाना पड़ा। पिछले 5 साल में यह पहला मौका है, जब कंपनी घाटे में आई है।
कंसल्टेंट फर्म सेंटर फॉर एशिया पैसीफिक एविएशन ने इस महीने भविष्यवाणी की थी कि भारत में एयरलाइंस को टिकटों में रियायत देन और ईंधन पर ज्यादा खर्च करने की वजह से इस साल कुल मिलाकर 6,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है। भारत में ज्यादातर तेल कंपनियों ने एटीएफ की कीमत लगभग दोगुनी कर दी है, जिससे एयरलाइंस कराह रही हैं।
जेट एयरवेज का चौथी तिमाही का घाटा 221 करोड़ रुपये रहा था, जो तीन वर्षों में किसी एक तिमाही में होने वाला सबसे बड़ा घाटा है। कंपनी की एक साल पहले शुद्ध आय 88.01 करोड़ रुपये थी। सिटीग्रुप बैंक की ओर से की गई नुकसान की भविष्यवाणी में जेट लाइट (इंडिया) लिमिटेड भी शामिल है। जेट लाइट जेट एयरवेज की सस्ती एयरलाइन इकाई है। इस भविष्यवाणी में विमानों की बिक्री और लीजबैक से हुए लाभ या नुकसान को शामिल नहीं किया गया है।
सिटीबैंक ने पहले यह संभावना जताई थी कि विमानन कंपनी 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में 2.8 अरब रुपये का घाटा दर्ज करेगी। बैंक ने यह भी संभावना जताई थी कि मार्च 2010 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए कंपनी का मुनाफा 4.9 अरब रुपये रहेगा।