जिंदल स्टेनलेस को उम्मीद है कि कार्बन उत्सर्जन में 50 फीसदी की कमी लाने का मध्यम अवधि का लक्ष्य साल 2035 से पहले हासिल हो जाएगा। विभिन्न परियोजनाओं के दम पर ऐसा संभव हो पाएगा।
देश की सबसे बड़ी स्टेनलेस स्टील कंपनी विभिन्न परियोजनाओं में 700 करोड़ रुपये निवेश कर रही है, जिससे हर साल 15 लाख टन कार्बन डायऑक्साइड के उत्सर्जन की बचत होगी। कंपनी ने कॉप-28 क्लाइमेट समिट में पहली बार अपनी मौजूदगी दर्ज की।
कंपनी ने दुबई में अलग से भारतीय स्टील मंत्रालय की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में भारतीय पैवेलियन में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की पहल के बारे में जानकारी दी।
कंपनी के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने कहा, सीओपी 28 के लिए भारत सरकार की तरफ से आमंत्रित किए जाने से खुद को सौभाग्यशाली मान रहे हैं।
जिंदल ने कहा, हम हर साल 15 लाख कार्बन उत्सर्जन में कमी के बीच विभिन्न सस्टैनिबिलिटी प्रोजेक्ट में 700 करोड़ रुपये निवेश कर रहे हैं। सर्वश्रेष्ठ तकनीक, नवोन्मेष, R&D में निवेश के साथ ऐसे आधुनिक व टिकाऊ दुनिया बनाने में मदद कर रहे हैं।