जेएसडब्ल्यू की नजर अमेरिकी कंपनी पर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 11:41 AM IST

सान जिंदल की कंपनी जेएसडब्ल्यू स्टील अमेरिका की यूनाइटेड कोल कंपनी को खरीदने के बारे में सोच सकती है। अमेरिका की इस कोयला कंपनी के पास 16.5 करोड़ टन कोयला भंडार हैं।


जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (वित्त)शेषगिरि राव ने यूनाइटेड कोल के लिए बोली जमा कराने की बात पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उनका कहना है, ‘बिक्री के लिए कई संपत्तियां मौजूद हैं, अब ये भी बिक्री के लिए मौजूद संपत्तियों में से एक है।’

यूनाइटेड कोल का साथ मिले या न मिले जेएसडब्ल्यू स्टील को 2011-12 तक अपने कच्चे माल की जरूरत का 50 प्रतिशत हिस्सा हर हालत में मिल जाएगा। राव का कहना है कि मोजांबिक लाइसेंस के साथ कंपनी को अगले साल 20 लाख टन कोकिंग कोयला मिल जाएगा और उसके बाद अगले 36 महीनों के समय में कंपनी 45 लाख टन के लिए आगे बढ़ेगी। साथ ही झारखंड के एक कोयला ब्लॉक में 69 फीसद कंपनी को आवंटित हुआ है।

2011-12 तक सिस्कॉल सहित जेएसडब्ल्यू 1.1 करोड़ टन की क्षमता प्राप्त कर लेगी और उसे कोकिंग कोल की जरूरत का 50 प्रतिशत हिस्सा मिल जाएगा। फिलहाल जेएसडब्ल्यू कोकिंग कोल की अपनी जरूरत का 100 प्रतिशत आयात करती है। अगर जेएसडब्ल्यू यूनाइटेड कोल के लिए बोली लगाने का फैसला ले लेती है तो कंपनी इस्पात की ज्यादातर निर्माता कंपनियों की कच्चे माल की अपने स्रोतों से आपूर्ति करने की रणनीतियों में एक और पन्ना जोड़ेगी।

नए साल के लिए कोकिंग कोल के ठेके ज्यादातर सभी कंपनियों ने लगभग 12,200 रुपये प्रति टन पर सील कर दिये हैं। पिछले साल के मुकाबले इस रकम में 200 प्रतिशत का इजाफा है। इससे भी अधिक कोकिंग कोल इस्पात के उत्पादन की लागत का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा है। साथ ही भारत में कोकिंग कोल की गुणवत्ता इस्पात बनाने के लिए सही नहीं है और कंपनियों को आयात पर भी निर्भर होना पड़ता है।

जेएसडब्ल्यू अन्य कच्चे माल- लौह अयस्क- की जरूरतों को भी पूरा करने की कोशिश कर रही है। कंपनी चिली में अपनी खदानों में लगभग 550 करोड़ रुपये निवेश कर सकती है, जिससे जून 2009 में उसे अपनी जरूरत के अनुसार 50 प्रतिशत कच्चा माल मिल जाएगा। कंपनी की योजना लौह अयस्क को हेज करने की भी है। कंपनी की योजना 2020 तक अपनी क्षमता को बढ़ाकर 3.1 करोड़ टन करने की है। वित्त वर्ष 2008 में कंपनी की क्रूड स्टील उत्पादन क्षमता 36 लाख टन की थी।

First Published : July 16, 2008 | 12:07 AM IST